लोक सभा चुनाव आने वाले है। सभी पार्टीयाँ एक दूसरे को घेरने के प्रयास में है। चुनाव से पहले सभी दल एक दूसरे की गतिविधियों पर खासा ध्यान बरतते है।
जैसा कि हमें ज्ञात हैं भारतीय जनता पार्टी सरकार इन दिनों असम में एनआरसी को लेकर काफी चुस्त है एवं इसको लेकर हाल ही में सरकार ने नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) का फाइनल ड्राफ्ट सोमवार को असम में जारी कर दिया गया।
इस चीज़ को लेकर भाजपा काफी वक्त से प्रयास कर रही थी और सोमवार को इसका अंतिम प्रारूप सरकार को सौंप दिया गया।
इस ड्राफ्ट के तहत 2.89 करोड़ लोगों को नागरिकता के योग्य पाया गया, वहीं करीब 40 लाख लोगों के नाम इससे बाहर रखे गए हैं।
बता दें कि एनआरसी का पहला ड्राफ्ट 31 दिसंबर 2017 को जारी किया गया था जिसमें कुल 3.29 करोड़ आवेदनों में से 1.9 करोड़ लोगों का नाम शामिल किया गया था।
इसको लेकर सरकार को कई दलों ने घेरा एवं इस की निंदा करी। इन्ही में से एक हैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जिन्होंने लिस्ट में 40 लाख लोगों का नाम ना होने पर सरकार को घेरा है।
उन्होंने सरकार से सवाल किया है कि जिन लोगों ने पहले बीजेपी की सरकार बनाने के लिए वोट किया था आज उन्हें ही शरणार्थी कैसे बना दिया गया।
एनआरसी के मुद्दे पर कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में बोलते हुए ममता बनर्जी ने कहा, ‘असम में यह क्या चल रहा है? एनआरसी समस्या ये सिर्फ बंगाली नहीं हैं, ये अल्पसंख्यक हैं, ये बंगाली हैं और ये बिहारी हैं। 40 लाख से ज्यादा लोगों ने कल रूलिंग पार्टी के लिए वोट किया था और आज अचानक अपने ही देश में उन्हें शरणार्थी बना दिया गया है।’
ममता ने कहा, ‘मैं अपनी मातृभूमि को ऐसी हालत में नहीं देखना चाहती, मैं मातृभूमि को बंटते हुए नहीं देखना चाहती।’
इसके बाद ममता बनर्जी ने बंगाल के उपलक्ष में भी अपनीं राय रखी।
उन्होंने कहा कि, “मैं हैरान हूं कि हमारे पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के परिवार के लोगों का नाम एनआरसी असम में नहीं है। इससे ज्यादा मैं क्या कहूं? ऐसे कई लोग हैं जिनके नाम रजिस्टर में नहीं हैं’ उन्होंने बीजेपी सरकार को घेरते हुए कहा, ‘केवल चुनाव जीतने के मक़सद से लोगों को परेशान नहीं किया जा सकता। क्या आपको नहीं लगता कि जिन लोगों के नाम लिस्ट में नहीं हैं वे अपनी पहचान का एक हिस्सा खो देंगे?