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    जम्मू-कश्मीर की सबसे पुरानी क्षेत्रीय पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस(National Conference)  ने परिसीमन आयोग के मसौदे (J&K Delimitation Commission Draft Report) को अवैज्ञानिक और राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया।

    पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के मुखिया फारुख अब्दुल्ला ने परिसीमन आयोग की सिफारिशों को सिरे से नकारते हुए इसे अवैज्ञानिक और बेबुनियादी बताते हुए कहा कि कोई भी राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक- किसी भी तरीके से यह रिपोर्ट न्यायसंगत नहीं है।

    केंद्र में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने हालांकि इस मसौदे का स्वागत किया है। वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस की राह पर ही चलते हुए घाटी के अन्य सभी दलों ने इसे मानने से इनकार कर दिया।

    आयोग के ड्राफ्ट रिपोर्ट की मुख्य बातें

    अधिकारियों और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आयोग द्वारा प्रस्तावित ड्राफ्ट में जम्मू संभाग में विधानसभा सीटों की संख्या 37 से बढ़ाकर 43 तथा कश्मीर क्षेत्र में यह संख्या 46 से बढ़ाकर 47 करने का सुझाव है।

    साथ ही कई संसदीय सीटो का पुनर्निर्धारण किया गया है। उदाहरण के लिए, अनंतनाग संसदीय सीट में जम्मू संभाग से राजौरी और पूंछ को शामिल किया गया है। इसके अलावे कश्मीर संभाग में बड़े पैमाने पर बदलाव किए गए हैं।

    श्रीनगर जिले की खानयार, सोनवार और हज़रतबल विधानसभा सीटों को छोड़कर, अन्य सभी सीटों का पुनर्निर्धारण किया गया है। श्री अब्दुल्ला इसी श्रीनगर लोकसभा सीट से सांसद हैं।

    बीजेपी को छोड़ लगभग सभी प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों ने जताई है नाराज़गी..

    आयोग द्वारा दिये प्रस्ताव के तमाम बिंदुओं को लेकर घाटी के लगभग सभी राजनीतिक दलों ने अपना असंतोष व्यक्त किया है।
    दरअसल आयोग ने अग्रिम रिपोर्ट बनाने के बाद इसी आयोग के 5 एसोसिएट सदस्यों से इस मसौदे पर 14 फरवरी के पहले तक  सुझाव मांगे थे।

    इन्हीं सदस्यों में से एक NC के मुखिया फ़ारूक़ अब्दुल्ला, जो श्रीनगर लोकसभा सीट से सांसद हैं, ने कई सवाल खड़े किए। उन्होंने परिसीमन आयोग के उस फॉर्मूले पर ही सवाल खड़ा किये जिसे आयोग ने जनसंख्या की अवधारणा को ख़ारिज करते हुए अपनाया था।

    3 बार के मुख्यमंत्री रहे अब्दुल्ला ने आगे कहा कि ” जब जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून ही अभी अदालत में लंबित है, जिस पर देश की सर्वोच्च अदालत का फैसला आना बाकि है; ऐसे में आयोग को परिसीमन अर्थात संसदीय और विधानसभा सीटों का पुनर्निर्धारण करने की क्या जल्दी है?” 

    जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग: संरचना और सदस्य

    मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा और राज्य निर्वाचन आयुक्त केके शर्मा के साथ उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में 06 मार्च 2020 को जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग का गठन किया गया।

    आयोग को यह जिम्मेदारी दी गयी कि नए केन्द्र शाषित प्रदेश ले संसदीय और विधानसभा सीटों का पुनर्निर्धारण कैसे  किया जाए, यह तय करे।

    इसके अलावे इस आयोग में जम्मू कश्मीर से आने वाले 5 लोकसभा सांसदो को  सहयोगी सदस्य (एसोसिएट मेंबर) के तौर पर शामिल किया गया। इन 5 मे से 3 नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी से जबकि 2 बीजेपी के सांसद हैं।

    आयोग ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट बनाने के बाद इन 5 सदस्यों को एक निर्धारित अवधि के भीतर उनके सुझावों के लिए भेजा था जिसकी मियाद बीते 14 फरवरी को खत्म हुई।

    उधर, पिछले साल 1 साल की अवधि-विस्तार के बाद इस आयोग का कार्यकाल अब इसी साल अगले महीने यानी 6 मार्च 2022 को खत्म होने जा रहा है।

    ऐसे में जब आयोग की कार्यावधि समाप्त होने वाला है और दूसरी तरफ इसे लेकर राजनीतिक बवाल मचा हुआ है, यह देखना दिलचस्प होगा कि आयोग आगे क्या करने वाला है।
    रिपोर्ट को पब्लिक किये जाने की कवायद भी जारी है वहीं भारी राजनीतिक विरोध इस रास्ते मे रुकावटें पैदा कर सकती हैं।

    By Saurav Sangam

    | For me, Writing is a Passion more than the Profession! | | Crazy Traveler; It Gives me a chance to interact New People, New Ideas, New Culture, New Experience and New Memories! ||सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ; | ||ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ !||

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