Jacinda Ardern Resigns: न्यूज़ीलैंड के लोकप्रिय प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्दर्न (Jacinda Ardern) ने अचानक ही अपने पद से आगामी 07 फरवरी के पहले तक इस्तीफ़ा देने की घोषणा कर सबको चौंका दिया। ग़ौरतलब है कि न्यूज़ीलैंड में आगामी आम चुनाव की भी घोषणा हुई है जो 14 अक्टूबर 2023 को होना प्रस्तावित है।
इसके मद्देनजर जैसिंडा अर्दर्न के इस्तीफ़े के बाद फरवरी से लेकर अक्टूबर तक के कार्यकाल के लिए सत्ताधारी लेबर पार्टी को उनके नए उत्तराधिकारी की तलाश होगी जिसके लिए आगामी रविवार को पार्टी के भीतर ही मतदान के सहारे नए PM का चुनाव किया जाएगा।
जैसिंडा अर्दर्न (Jacinda Ardern) ने कहा कि अब उनके पास देश को चलाने के लिए आवश्यक शक्ति नहीं है और इसीलिए वह प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफ़ा देंगी और साथ ही वह दुबारे चुनाव भी नहीं लड़ेंगी।
42 साल की जैसिंडा अर्दर्न (Jacinda Ardern) के इस फैसले को दुनिया भर के राजनेताओं और उनके प्रशंसकों ने जमकर सराहा है। उन्होंने अपने राजनीति कैरियर को उस वक़्त अलविदा कहा है जब वह सत्ता के शीर्ष पर थीं और आम जनमानस में न सिर्फ न्यूज़ीलैंड बल्कि पूरी दुनिया मे खासी लोकप्रिय हैं।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने जैसिंडा अर्दर्न (Jacinda Ardern) के तारीफ़ में इस फैसले के बाबत बड़ी ही रोचक तुलनात्मक बयान दिया है, जो अर्दर्न के फैसले के लिए बिल्कुल माकूल बैठता है। श्री रमेश ने ट्वीट कर कहा,
भारतीय क्रिकेट के बेहतरीन खिलाड़ी और बाद में कमेंटेटर बने विजय मर्चेन्ट ने अपने कैरियर के चरम पर रिटायरमेंट लेने के लिए एक दफा कहा था कि तब जाओ जब लोग कहें- क्यों जा रहे हो; न कि तब जब लोग पूछें कि ये जा क्यों नहीं रहा है। जैसिंडा अर्दर्न (Jacinda Ardern) ने मर्चेन्ट के इसी बात का पालन करते हुए न्यूज़ीलैंड के PM ने अपना पद छोड़ने का फैसला किया है। भारतीय राजनीति में उनके जैसे लोगों की जरूरत है।”
Legendary cricket commentator, Vijay Merchant once said about retiring at the peak of his career: Go when people ask why is he going instead of why isn’t he going. Kiwi PM, Jacinda Ardern has just said she is quitting following Merchant’s maxim. Indian politics needs more like her
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) January 19, 2023
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बनीज़ (Anthony Albanese) ने जैसिंडा अर्दर्न (Jacinda Ardern) के तारीफ़ करते हुए कहा कि जैसिंडा न्यूज़ीलैंड की कुशल प्रशासकों में से एक रही हैं। वह कईयों के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होनें अपने कार्यकाल में यह साबित किया है कि समानुभूति (Empathy) और अंतःदृष्टि (Insight) मजबूत नेतृत्वकर्ता का गुण होता है।
Jacinda Ardern has shown the world how to lead with intellect and strength.
She has demonstrated that empathy and insight are powerful leadership qualities.
Jacinda has been a fierce advocate for New Zealand, an inspiration to so many and a great friend to me. pic.twitter.com/QJ64mNCJMI
— Anthony Albanese (@AlboMP) January 19, 2023
कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडेऊ (Justin Trudeau) ने भी जैसिंडा की तारीफ़ करते हुए मित्रता और सहभागिता के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा
“जो अंतर आपने दिखाया है वह अतुल्य है। मैं आपके और आपके परिवार को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूँ।”
Thank you, @JacindaArdern, for your partnership and your friendship – and for your empathic, compassionate, strong, and steady leadership over these past several years. The difference you have made is immeasurable. I’m wishing you and your family nothing but the best, my friend. pic.twitter.com/72Q5p9GZzg
— Justin Trudeau (@JustinTrudeau) January 19, 2023
जैसिंडा (Jacinda Ardern) जब प्रधानमंत्री बनी थीं तो वह महज 37 साल की थीं। उस वक़्त वह दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला राजनेताओं में से एक थीं जो किसी मुल्क के शीर्ष पद पर आसन्न हों।
सत्ता के शीर्ष पर ही रहते हुए जैसिंडा अर्दर्न (Jacinda Ardern) के इस्तीफ़े के फैसले के बारे में जो कहा, वह दुनियाभर के शीर्ष नेताओं को पढ़ना, सुनना और सीखना चाहिए। उन्होंने कहा,
“मैं भी एक इंसान हूँ, राजनेता भी इंसान ही होता है। हमलोग अपना सब-कुछ देते हैं और जितना लंबा हो सकता है, (जनसेवा) करते रहते हैं। फिर एक वक्त आता है-अलविदा कहने का। और मेरे लिए, वह वक़्त अब आ गया है। उनके जाने के बाद तमाम बातें होंगी। लेकिन असली वजह यह है कि PM जैसा विशेषाधिकार वाला पद कई बड़ी जिम्मेदारी लेकर आता है। ऐसा नहीं है कि मैं अब उन जिम्मेदारियों को नहीं निभा सकती लेकिन वह इसलिए इस्तीफ़ा दे रही हैं क्योंकि बाकी अन्य लोग यह जिम्मेदारी उनसे बेहतर तरीके से निभा सकते हैं।”
जैसिंडा अर्दर्न (Jacinda Ardern) का मात्र 42 साल की उम्र में यह कहना कि वह अब जिम्मेदारी नहीं निभा सकती क्योंकि बाकी अन्य उनसे बेहतर जिम्मेदारी निभा सकते हैं, यह अपने आप मे एक अद्वितीय फैसला है।
भारत जैसे देश मे जहाँ 80 की उम्र में लोग किसी पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा जाता है…. जहाँ 72 साल का प्रधानमंत्री युवा प्रधानमंत्री कहा जाए….जहाँ 52 साल का एक नेता युवा नेता की श्रेणी में गिना जाता हो; उस देश के लिए जैसिंडा का यह फैसला निश्चित ही एक उदाहरण है।
भारत की तो बात ही अलग है। यहाँ राजनेताओं को छोड़िए, क्रिकेट जैसे खेल से खिलाड़ियों को भी नई पीढ़ी के लिए मौका बनाना गवारा नहीं होता है। और फिर भारत ही क्यों दुनिया के और भी तमाम बड़ी शक्तियों के भीतर भी यही हाल है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 70 साल के हो चुके हैं। दिसंबर 2022 में पुनः नियुक्त हुए इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी 73 साल के हैं। चीन के राष्ट्रपति झी-जिनपिंग भी 70 साल के लगभग हो चुके हैं। इन तीनों नेताओं की समानता यह है कि तमाम अंतर्विरोधों के बावजूद ये खुद को किसी भी तरह सत्ता में बनाये रखना चाहते हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति भी 80 पार कर चुके हैं। ब्राज़ील में हाल ही में राष्ट्रपति बने लूला-डि-सिल्वा 77 साल के हैं। ऐसे और भी तमाम उदाहरण हैं जो राजनीति को एक फुल टाइम पेशा मानकर न सिर्फ बल्कि नई पीढ़ी को नेतृत्व की मशाल सौंपने में देर करते हैं बल्कि खुद का भी राजनीतिक और मानसिक दोहन करते हैं।
ऐसे में जैसिंडा (Jacinda Ardern) का सत्ता के शीर्ष पर रहते हुए मात्र 42 की उम्र में राजनीति से खुद को अलग करना निश्चित ही एक उदाहरण है कि राजनीति कोई लाइफ-टाइम जॉब नहीं बल्कि देश के कुशल नेतृत्व का रास्ता है। अगर आप कुशल नेतृत्व देने में जरा भी कम पड़ रहे हैं तो आपको पद छोड़ देना चाहिए, इसमें कोई बेइज्जती या शर्म की बात नहीं है।