दुबई में आयोजित COP28 जलवायु सम्मेलन में भारत का गौरव बढ़ाते हुए प्लास्टिक सर्जन डॉ. अतुल शाह को उनके अभिनव कार्य के लिए प्रतिष्ठित “गेम-चेंजिंग इनोवेटर” पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस पुरस्कार ने न केवल डॉ. शाह के अथक प्रयासों को मान्यता दी, बल्कि कुष्ठ रोग से प्रभावित मरीजों के जीवन में उनके योगदान को भी रेखांकित किया।
तीन दशक पहले, डॉ. शाह ने महसूस किया कि कुष्ठ से पीड़ित मरीजों के लिए विशेष उपकरणों के बिना भी उनकी शारीरिक विकृति को ठीक किया जा सकता है। उन्होंने इसी सोच के साथ “गुजरात मॉडल” विकसित किया, जो बिना किसी महंगे उपकरणों के कुष्ठ के कारण विकृत अंगों की सर्जरी का एक सरल और प्रभावी तरीका है। इस नवाचार को देश के अन्य राज्यों ने भी अपनाया, और हाल ही में डॉ. शाह को उनके इस योगदान के लिए REACH (Recognizing Excellence Around Champions of Health) द्वारा “गेम-चेंजिंग इनोवेटर” पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
800 से अधिक आवेदनों और 15 फाइनलिस्टों में से डॉ. शाह को जूरी ने चुना। उन्होंने कहा, “यह पुरस्कार कुष्ठ रोग के क्षेत्र में किए गए मेरे प्रयासों की मान्यता है। यह पुरस्कार मुझे और अधिक काम करने और कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प देता है।”
डॉ. शाह की सफलता का मूल सिद्धांत सरलता और रचनात्मकता पर आधारित है। उनकी तकनीक कम लागत वाली है, आसानी से सीखी जा सकती है और ग्रामीण क्षेत्रों में भी लागू की जा सकती है। इससे कुष्ठ रोग के मरीजों को महंगे इलाज और शहरों की यात्रा करने से बचाता है, साथ ही उनके आत्मविश्वास और सामाजिक स्वीकार्यता को भी बढ़ाता है।
डॉ. शाह का नवाचार सिर्फ एक चिकित्सकीय उपलब्धि नहीं है, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का भी एक प्रेरक उदाहरण है। उन्होंने साबित किया है कि सीमित संसाधनों के साथ भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। उनका काम वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक प्रेरणा है और यह दर्शाता है कि रचनात्मक सोच और दृढ़ संकल्प से असंभव लगने वाली चुनौतियों को भी पार किया जा सकता है।