कल्पना कीजिये कोई कंपनी अपना एक ब्रांड किसी एक क्षेत्र में लॉन्च किया और नतीजों में उसे अपार सफलता मिली हो। उस से प्रेरित होकर दूसरे शहर में भी वही ब्रांड लॉन्च किया गया और उसे फिर भारी सफलता मिली।
निश्चित ही कंपनी और उसके कर्मचारियों का मनोबल बढ़ जायेगा। अब हर क्षेत्र का मैनेजर उस खासा सफल ब्रांड को अपने अपने इलाके में लॉन्च करना चाहेगा और मालिक को खुश करना चाहेगा ताकि आगे उसका मालिक प्रमोशन और तरक्की दे।
अब ऊपर के पैराग्राफ में बताये गए कंपनी को “भारतीय जनता पार्टी (BJP)” तथा ब्रांड को “बुलडोज़र (Bulldozer)” से बदल दीजिये तो इन दिनों देश में त्वरित न्याय देने वाली नई प्रणाली “Bulldozer Model of justice” के प्रसार का मामला समझ आएगा।
खरगौन, MP के बाद आज दिल्ली में चला बुलडोज़र(Bulldozer)
आज दिल्ली के जहाँगीरपुरी इलाके में अतिक्रमण और अवैध कब्जे की आड़ में बुलडोज़र इस्तेमाल किया गया। जहाँगीरपुरी में बीते दिनों सांप्रदायिक हिंसे हुए थे जिसके बाद उत्तरी दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (NDMC) ने अतिक्रमण हटाए जाने का तर्क देकर हिंसाग्रस्त इलाकों में बुलडोज़र (Bulldozer) का इस्तेमाल करने फैसला किया।
इस से पहले मध्य प्रदेश के खरगौन में सांप्रदायिक हिंसा के बाद शिवराज सरकार अपनी क्षवि से उलट एक विशेष धर्म के लोगों के घरों और ऐसे सम्पत्तियों पर बुलडोज़र (Bulldozer) चलवा दिए थे ।
खरगौन हिंसा के बाद बिना किसी अग्रिम सूचना के इन घरों को जमींदोज कर दिया गया जिसके पीछे की वजह अतिक्रमण और अवैध कब्ज़ा बताई गयी। लेकिन सरकार इस तर्क में खुद ही फंस गयी जब यह पता चला कि जिन घरों पर अवैध कब्ज़े कहकर बुलडोज़र चलाये गए हैं उसमें एक घर प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत खुद मोदी सरकार ने बनवाये थे।
सुप्रीम कोर्ट के रोक के बावजूद चलते रहे बुलडोज़र (Bulldozer)
जहाँगीरपुरी दिल्ली में 20 अप्रैल की सुबह ही उत्तरी दिल्ली नगर निगम (NDMC), जिसपर बीजेपी का कब्ज़ा है, के द्वारा दंगाग्रस्त इलाकों में अतिक्रमण हटाने के नाम पर बुलडोज़र (Bulldozer)का इस्तेमाल शुरू हो गया था।
फिर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी कर इस कार्रवाई पर रोक लगाने को कहा लेकिन इसके बावजूद बुलडोज़र (Bulldozer) चलते रहे।
अब इसे सरकार के डिजिटल इंडिया की विफलता कहें या फिर सूचना क्रांति की पराकाष्ठा कि उसी दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट है और उसी दिल्ली में जहाँगीरपुरी जहाँ बुलडोज़र चलाये जा रहे थे, फिर भी सुप्रीम कोर्ट का आदेश दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों तक नहीं पहुँच सकी.
#WATCH | Despite SC order to maintain status-quo on demolition drive, NDMC continues anti-encroachment drive in the Jahangirpuri area of Delhi pic.twitter.com/TW07OM2WFE
— ANI (@ANI) April 20, 2022
दूसरी बार हस्तक्षेप करना पडा कोर्ट को तब जाकर रुकी कार्रवाई
जब देश के सर्वोच्च अदालत के आदेश के बावजूद बुलडोज़र (Bulldozer) चलते रहे उसके बाद सुप्रीम कोर्ट को पुनः हस्तक्षेप करना पड़ा। मुख्य न्यायाधीश श्री रमन्ना ने सेक्रेटरी जेनरल, सुप्रीम कोर्ट व ज्यूडिसियल रजिस्ट्रार को उत्तरी दिल्ली नगरनिगम के मेयर, दिल्ली पुलिस कमिश्नर सहित अन्य अधिकारियों से यथाशीघ्र बात करने को कहा।
इसके बाद उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने अपनी कार्रवाई को रोक दिया और बुलडोजर वापस कर दिए गए।
“बुलडोज़र मॉडल ऑफ़ जस्टिस (Bulldozer Model Of Justice)” कानूनी तौर पर कितना सही है?
पहले उत्तर प्रदेश , फिर मध्य प्रदेश और अब दिल्ली के जहाँगीरपुरी में…. अतिक्रमण और अवैध कब्जे की आड़ में बुलडोज़र (Bulldozer) का इस्तेमाल यह बताता है कि सरकारें और उनकी एजेंसीज कैसे त्वरित कार्रवाई को लेकर आतुर है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह कानूनी है?
अब आप ऊपर की तस्वीर को ध्यान से देखिये जिसमें बुलडोज़र द्वारा ध्वस्त किये गए मलवे में “मेरा भारत महान” वाला एक बोर्ड कचरे में पड़ा है। हो सकता है कि सरकारी तंत्र अपने जगह सही हों और अतिक्रमण हटाने ही गए हों लेकिन हिंसाग्रस्त इलाके में ऐसी कार्रवाई स्थिति सामान्य होने तक इंतज़ार किया जा सकता था।
पहले खरगौन और अब जहाँगीरपुरी में “बुलडोज़र मॉडल ऑफ़ जस्टिस” का इस्तेमाल हुआ है, यह निश्चित ही एक विचारणीय तथ्य है। सरकारों द्वारा ऐसी कार्रवाई भारत के लोकतंत्र और न्याय प्रणाली के ऊपर सवालिया निशान खड़ा करता है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब ऊपर की तस्वीर “भारत” की क्षवि के साथ एकदम फिट बैठे।