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    चाय के बाग़

    टी बोर्ड से प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत से चाय का निर्यात पिछले वर्ष के 251.91 मिलियन टन की तुलना में वर्ष 2018 में 249 मिलियन टन तक गिर गया। यह टी बोर्ड के लिए एक चिंता का विषय है और इससे टिया बोर्ड निर्यात को बढाने के लिए विभिन्न योजनाएं तैयार कर रहा है।

    चाय निर्यात के आंकड़े :

    टी बोर्ड द्वारा प्रदान की गयी अतिरिक्त जानकारी के अनुसार हालांकि चाय का निर्यात मात्र में कम था लेकिन यदि मौद्रिक तरीके से देखा जाए तो पिछले वर्ष के 4,987.59 करोड़ रूपए की तुलना में इस वर्ष 3 प्रतिशत का इजाफा होकर यह कुल 5132.37 करोड़ हो गया।

    पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन के लिए निर्यात बढ़ गया, जबकि जर्मनी, ब्रिटेन और सीआईएस देशों के लिए निर्यात में गिरावट देखी गयी। जनवरी-दिसंबर की अवधि में पड़ोसी पाकिस्तान को चाय निर्यात 15.83 मिलियन किलोग्राम था, जबकि 2017 में निर्यात 14.73 मिलियन किलोग्राम था। पिछले वर्ष की समान अवधि में 8.52 मिलियन किलोग्राम की तुलना में इस अवधि में चीन को 10.22 मिलियन किलोग्राम का निर्यात हुआ। अतः चीन में निर्यात की बढ़ोतरी हुई है।

    निर्यात बढाने की टी बोर्ड की ये है योजना:

    चाय एक निर्यात काम होने के सन्दर्भ में टी बोर्ड की मीटिंग में इसके चेयरमैन अरुण कुमार बोले की हमें दुसरे देशों में निर्यात बढ़ाने के लिए चाय की गुणवत्ता पर केंद्रित होना होगा। आज अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में आर्गेनिक चाय की मांग बढ़ रही है अतः हमें सुनिश्चित करना होगा की हम उस मांग के लिए अच्छी गुणवत्ता की चाय से आपूर्ति करें इससे बेशक निर्यात में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। इसके अलावा, चेयरमैन ने उद्योग के बड़े और छोटे चाय उत्पादकों के बीच सतत विकास, ट्रेसबिलिटी, और सहयोग में वृद्धि पर जोर दिया।

    2020 का यह है लक्ष्य :

    टी बोर्ड के चेयरमैन ने इस बैठक में टी बोर्ड के निर्यात का 2020 तक का लक्ष्य भी बताया। उन्होंने कहा की 2020 तक वे निर्यात को 300 मिलियन किलोग्राम तक पहुँचाना चाहते हैं। उन्होंने बताया की इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उन्हें छोटे चाय उत्पादकों की बहुत ज़रुरत होगी।

    टी बोर्ड के सदस्यों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा की हमें छोटे उत्पादकों के बीच अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता के हिसाब से उत्पादन करने के लिए जागरूकता पैदा करनी होगी।

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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