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    पीएफ और पीपीएफ

    अधिकांश लोगों को तो पीएफ और पीपीएफ की मूलभूत जानकारी ही नहीं होती है। इसलिए सबसे पहले हमें पीएफ और पीपीएफ के बीच के वास्तविक अंतर को समझना होगा।  आपको जानकारी के लिए बता दें कि पीपीएफ एक ऐसा अकांउट है जिसके माध्यम से इनकम टैक्स में छूट प्राप्त की जा सकती है।

    पीएफ
    पीएफ को ईपीएफ भी कहते हैं। यह अकाउंट विशेषरूप से नौकरीपेशा करने वालों के लिए होता है। जबकि पीपीएफ एक ऐसी स्कीम है जो बैंक और डाकघरों से संचालित की जाती है।  नियमानुसार नौकरीपेशा लोगों की बेसिक सैलरी का 12 फीसदी अमांउट्स काटकर पीएफ के रूप में जमा किया जाता है। जबकि इतना ही हिस्सा कर्मचारी के भविष्य के लिए सरकार की ओर से जमा किया जाता है।

    नियोक्ता की ओर से जमा की गई धनराशि में से करीब 8.33 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना के तहत काट ली जाती है। जिस पर सरकार करीब 8.65 प्रतिशत ब्याज भी उपलब्ध कराती है। हर पीएफ अकाउंट होल्डर के लिए अलग से यूएन नंबर उपलब्ध कराया जाता है।

    पीपीएफ—
    पीपीएफ अकांट्स ओपन करवाने के लिए नौकरीपेशा होना जरूरी नहीं है। पीपीएफ अकांउट्स आप किसी भी बैंक या फिर डाकघर में जाकर खुलवा सकते हैं। पीपीएफ अकांउट्स पर 7.8 प्रतिशत ब्याज मिलता है। इस अकांउट की म्योच्योरिटी अवधि 15 साल निर्धारित की गई है। हां, पांच साल बाद पीपीएफ अकांउट में जमा की गई धनराशि का कुछ हिस्सा आप आसानी से निकाल सकते हैं।

    पीपीएफ अकाउंट के निराले फायदे

    • पीपीएफ पर सर्वाधिक 7.8 फीसदी ब्याज निर्धारित है।
    • पीपीएफ अकाउंट में जमा धनराशि पर कोई टैक्स नहीं लगता है।
    • पीपीएफ अकाउंट में जमा धनराशि की म्यौच्योरिटी पूरी होने के बाद भी कोई टैक्स नहीं देने होंगे।
    • किसी आपातकालीन स्थिति जैसे गंभीर बीमारी, बच्चों की उच्च शिक्षा आदि के लिए कम से कम पांच साल पुराने पीपीएफ अकाउंट को बंद कर पूरा पैसा निकाला जा सकता है।
    • आयकर की धारा 80 सी के तहत पीपीएफ में जमा धनराशि पर छूट।