चीन के समुद्र में बढ़ रही गतिविधियों के मद्देनजर भारत अपनी रणनीति में बदलाव कर रहा है। अब भारत अमेरिका के साथ मिलकर श्रीलंका और मालदीव के लिए काम करना चाहता है। भारत तथा अमेरिका रणनीतिक रूप से श्रीलंका और मालदीव में एक दूसरे के करीब आ रहे है। वहीं चीन की कोशिश मालदीव व श्रीलंका को अपने तरफ करने की है।
अगर इन दोनों देशों की बात की जाए तो मालदीव का संबंध चीन के साथ लगातार बढ़ रहा है। इसके पीछे कारण चीन की तरफ से मालदीव को आर्थिक स्तर पर मदद भेजना है। चीन लगातार मालदीव में अपना प्रभुत्व जमाने का प्रयास कर रहा है जो कि भारत के लिए चिंता का विषय है।
चीन मालदीव में आधारभूत ढांचा निर्माण और विकास के कार्यों के लिए मदद दे रहा है। मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को चीन के कर्ज से कोई दिक्कत पेश नहीं आ रही है।
‘आईहेवन प्रोजेक्ट’ है चिंता का विषय
मालदीव में असल चिंता की बात ‘आईहेवन प्रोजेक्ट’ है। चीन इस प्रॉजेक्ट के जरिए मालदीव के सुदूर उत्तरी इलाके में बंदरगाह और अन्य विकास परियोजनाओं पर काम कर रहा है।
जानकारी के अनुसार हाल के दिनों में चीनी पनडुब्बी इसी इलाके में देखे गए थे और इस इलाके में चीनी नियंत्रण भारत के हितों के खिलाफ है।
इसके अलावा भारत व अमेरिका अब आईएस आतंकियों पर भी ध्यान दे रहे है। मालदीव से तकरीबन 400 लोग आतंकी संगठन आईएस में भर्ती होने के लिए सीरिया और इराक गए थे।
वहां की जनसंख्या काफी कम है जिसके हिसाब से यह नंबर काफी ज्यादा है। इसलिए इस पर रोक लगाने के लिए भारत-अमेरिका मिलकर कार्य कर रहे है।
इसके साथ ही भारत व अमेरिका की कोशिश है कि श्रीलंका भी अब चीन के साथ ज्यादा संबंध नहीं रख पाए। इसके लिए श्रीलंका को चीन के कर्ज से मुक्त करने की कोशिश की जा रही है।