“हूँ छू विकास , हूँ छू गुजरात “ का नारा लेकर निकले हैं नेता ,
चुनावी रंग सजाने को ,
चिल्ला रहे विरोधी ,,..लगी है साख दावं पे ..,
फिर भी चले हैं अपना हाथ बढ़ाने को ,
उसकी झाडू है मैली,,
फिर भी हर जगहा सीना तान आता है वो ,,
हारने से कभी घबराता नहीं ….
एडवांस में ही सब स्टेट की टिकट बूक करवाता है वो ।
यदि इन पंक्तियों को हम गुजरात की राजनीति का वर्तमानकालीन सार कहे तो यह अनुचित नहीं होगा क्यूंकि जब राजनीति में उचित और अनुचित का भाव आने लगे तब वह कहा राजनीती कहलाती है क्योंकि शायद आज के समय की राजनीति तो सही और गलत के सभी पैमानों से भिन्न है।
किसी व्यक्तिविशेष का चुनाव में खड़ा होना ,पूरे राज्य में अपनी साख और पहचान स्थापित करना, उसका पूर्ण बहुमत से विजयी होना , शायद यही तो है राजनीति का प्रथम आधार। परन्तु जब सभी आधारों और मांपदण्डों को पूर्ण व उनपे खरे उतरने के बावजूद भी फिर से इसी प्रक्रिया को आरम्भ करना पड़े, उसे ही तो राजनीति के नाम से सम्बोधित किया जाता है ।
चुनाव के दौरान यदि एक पक्ष से दूसरे पक्ष के लिए बयान बाजी ना हो तो चुनावी रंग फीका सा दिखाई देता है परन्तु गुजरात में यह रंग खूब देखने को मिल रहा है। गुजरात के शिक्षा एवं राजस्व मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह चुडासमा ने कांग्रेस पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि “बीजेपी गुजरात में 150 से अधिक सीटें जीतेगी क्योंकि गुजरात की जनता नरेंद्र भाई और बीजेपी के साथ है और यह बात कांग्रेस भी जानती है पर इसको स्वीकार करने से वह किनारा कर रही है।”
जाहिर सी बात है चुनाव के समय ऐसा बयान आना कोई बड़ी बात नहीं, पर इस कटाक्ष ने कांग्रेस के खेमे में जरूर खलबली मचा दी है । भूपेंद्र सिंह चुडासमा ने आगे यह भी कहा कि ” कांग्रेस पार्टी ने गरीबी को अपना समानार्थक शब्द बना लिया है।” अब इस बयान पर कांग्रेस पार्टी की प्रतिक्रिया क्या रहेगी, यह रोचक होगा।
जिस प्रकार से यह बयान आया है उससे यह तो साफ़ दिखाई दे रहा है कि बीजेपी पार्टी के इस चुनावी युद्ध में “सारथि और महारथी” दोनों ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है। परन्तु क्या वह गुजरात में चली आ रही 15 सालों कि राजनैतिक सत्ता को कायम रख पाएंगे, यह देखने योग्य होगा ।