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    हिमाचल प्रदेश चुनाव

    हिमाचल प्रदेश चुनाव की तारीखों की घोषणा हो चुकी है। हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव 9 नवम्बर को होने है। इस चुनाव में कांग्रेस की ओर से मौजूदा मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री उमीदवार घोषित किया गया है। वीरभद्र सिंह सातवी बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने को तैयार है। वीरभद्र सिंह का पूरा परिवार राजनीति में सक्रिय है। वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा देवी भी मंडी से चुनाव जीत चुकी है। अपने राजनीतिक जीवन में वीरभद्र सिंह पर पिछले कई सालों से लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।

    राजशाही से लोकतंत्र

    बुशहर रियासत के अंतिम राजा वीरभद्र सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1962 से की। वीरभद्र सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर अपना पहला चुनाव लड़ा और जीता। वीरभद्र सिंह लगातार पांच बार लोकसभा सांसद रहे। वीरभद्र सिंह ने क्रमशः 1962, 1967, 1972, 1980 और 2009 में लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की। वीरभद्र सिंह ने 1983 में पहली बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी।

    कांग्रेस के विश्वासपात्र

    राजनीति में 55 वर्ष बिताने वाले वीरभद्र सिंह ने 30 जनवरी 1962 को कांग्रेस की सदस्यता ली थी। वीरभद्र सिंह 8 बार विधानसभा के सदस्य भी रह चुके है। वीरभद्र सिंह हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में छह बार शपथ ले चुके हैं। वीरभद्र सिंह 1983 में पहली बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गए थे। वीरभद्र सिंह 1983-1990, 1993-1998, 2003-2007 और 2012 से अभी तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। एक राजनेता के तौर पर उन्होंने अच्छा खासा वक्त राजनीति में बिताया है। राजनीति में कांग्रेस के साथ 55 साल रहने के बाद भी वीरभद्र सिंह दावा करते है कि उन्होंने एक पल के लिए भी कांग्रेस नहीं छोड़ी, और ना ही ऐसा करने का कोई विचार उनके मन में आया।

    वीरभद्र सिंह का कांग्रेस के साथ ऐसा बंधन है जिससे आज भी कांग्रेस को उनपर पूरा भरोसा है। वीरभद्र सिंह का मानना है कि कांग्रेस के प्रति उनकी वफादारी का ही फल है जो उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गाँधी के साथ केंद्रीय मंत्री बनने का मौका मिला।

    सत्ता का मोह नहीं छूटता

    वीरभद्र सिंह एक ऐसी शख्सियत है जो अपने बढ़ती उम्र के बावजूद सत्ता से दूर होना नहीं चाहते है। वीरभद्र सिंह हिमाचल प्रदेश के एक ऐसे नेता है, जिन्हे वहां की जनता का पूर्ण समर्थन और प्यार मिलता है। वीरभद्र सिंह को अपनी राजनीतिक जड़ों पर इतना विश्वास है कि वे अपनी विधानसभा सीट को भी अक्सर बदल कर चुनाव लड़ते है। वीरभद्र सिंह 84 साल के हो चुके है परन्तु उनमें राजनीति को लेकर आज भी जोश बरकरार है, जो शायद इतनी उम्र के किसी और नेता में ना हो।

    भ्रष्टाचार का आरोप

    हिमाचल प्रदेश भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने वर्ष 2009 में वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह पर केस दायर किया था। वीरभद्र सिंह पर मुख्यमंत्री रहते हुए भ्रष्टाचार में लिप्तता के आरोप लगे थे। वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी पर काले धन को वैध बनाने का केस दर्ज है।

    वर्ष 2015 में सीबीआई ने वीरभद्र सिंह पर केस दायर किया था, जिसमे उनके और उनके परिवार पर 6 करोड़ के लेनदेन की गड़बड़ी का आरोप है। सीबीआई ने इस मामले में 26 सितम्बर को वीरभद्र सिंह के घर छापेमारी भी की थी।

    नयी सीट पर किया नामांकन

    वीरभद्र सिंह ने 2017 विधानसभा चुनाव में एक ऐसी सीट से नामांकन दायर किया है, जिस पर पिछले 10 सालों से भारतीय जनता पार्टी का एकछत्र राज है। वीरभद्र सिंह ने अर्की से अपना नामांकन दाखिल किया है। वीरभद्र सिंह के नामांकन दाखिल करने से बीजेपी में चिंता बढ़ गयी है। दरअसल वीरभद्र सिंह का इतिहास रहा है वह जब भी किसी नई सीट पर चुनाव लड़ते है तो वहां की जनता उनके साथ हो जाती है। वीरभद्र ने चौथी बार अपना निर्वाचन क्षेत्र बदला है। इससे पहले उन्होंने 2012 में शिमला ग्रामीण से चुनाव लड़ा था। उससे पहले वीरभद्र सिंह ने 2007 में रोहड़ू से चुनाव लड़ा था।

    बेटे को किया लांच

    वीरभद्र सिंह ने 2017 में होने वाले चुनावो में अपने बेटे को भी चुनाव में कांग्रेस की तरफ से सीट दिलवाई है। वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण से चुनाव लड़ेंगे। वीरभद्र सिंह ने अपने 55 साल के राजनीतिक जीवन में 13 चुनाव लड़े और सभी में विजयी रहे। अब देखना होगा कि वीरभद्र सिंह के बेटे अपने पिता द्वारा चली आ रही जीत की निरंतरता को बरकरार रख पाते है या नहीं।

    वीरभद्र सिंह और विक्रमादित्य सिंह
    सियासी दंगल में उतरे वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य