चीन अपने करीबी मुस्लिम देशों के दरमियां धीरे-धीरे दूरी बढती जा रही है। पाकिस्तान ने दायमेर-बाशा बाँध के लिए मिलने वाली चीनी मदद के लिए इनकार कर दिया है। सिन्धु नदी पर निर्माणधीन इस बांध के लिए पहले चीन की सार्थिक सहायता मिलनी थी। हाल ही में सीपीईसी परियोजना के तहत एक रेलवे प्रोजेक्ट को पाकिस्तान ने रद्द कर दिया था।
मलेशिया ने भी चीन की महत्वकांक्षी परियोजना के तहत बनने वाले रेलवे प्रोजेक्ट की समीक्षा तक उसे बंद कर दिया है। यह कनेक्टिविटी पूर्वी और पश्चिमी तट को जोड़ती। मलेशिया के पूर्व प्रधानमन्त्री ने सार्वजानिक स्तर अपर चीन को अपना करीबी मित्र बताया था। उन्होंने चीन के साथ कई विशाल परियोजनाओं पर हस्ताक्षर किये थे। साथ ही महत्वपूर्ण सरकारी परियोजनाओं में भी चीनी निवेश के लिए रजामंदी दी थी।
नजीब रज्जाक पर अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप लगाये गए थे और उनके द्वारा प्रस्तावित सभी परियोजनाओं पर नई सरकारी समीक्षा कर रही है। मलेशिया ने इस प्रोजेक्ट को काफी महंगा बताया और इसे रद्द कर दिया है। मलेशिया के आर्थिक मामलों के मंत्री अजीमन अली ने कहा कि “यह रेल प्रोजेक्ट हमारे मुकाबले काफी उच्च दर का है। यदि इस प्रोजेक्ट को खत्म नहीं किया जाता तो देश को प्रति वर्ष 120 मिलियन की रकम अदा करनी होती। देश के हालात इतनी बड़ी रकम का कर्ज चुकाने के लायक नहीं है।”
मालदीव ने भी चीन की परियोजनाओं से अपना पल्ला झाड़ लिया है और चीन के कर्ज की रकम में खुद को दबा हुआ पाया है। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन चीन के करीबी दोस्त थे और उन्होंने भी बिना जांच के ऊँचे दामों पर चीन की कंपनियों को निर्माण कार्य सौंप दिया था। मालदीव में चुनाव के दौरान अब्दुल्ला यामीन पर चीन से अनाधिकारिक फंड लेने का भी आरोप लगाया गया था।