पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने बुधवार को कहा कि करतारपुर साहिब पर सिर्फ सिख श्रर्द्धालुओं को ही नहीं बल्कि सभी श्रद्धालुओं को प्रवेश की अनुमति मिलनी चाहिए। पाकिस्तान ने हाल ही में सिर्फ सिख श्रद्धालुओं को ही करतारपुर साहिब के दर्शन की अनुमति देने की बात कही थी। अमरिंदर सिंह ने कहा कि करतारपुर साहिब गुरुद्वारा को कई धर्म के लोग मानते है और विशेषकर हिंदुओं के लिए यह पवित्र स्थल है।
अमरिंदर सिंह ने यह बयान जारी कर केंद्र से इस मसले को पाकिस्तान के समक्ष उठाने का आग्रह किया है। हाल ही में पाकिस्तान ने करतारपुर गलियारे का ड्राफ्ट भारत को सौंप दिया था। उन्होंने कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखना चाहिए कि सिखों की विचारधारा सिख समुदाय तक ही सीमित नही है, बल्कि सभी धर्मों के लोग इसे मान्यता देते हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि सिख संस्कृति भेदभाव के खिलाफ है, यहां तक कि लंगर का आयोजन भी सभी की निस्वार्थ सेवा होती है। उन्होंने कहा कि भारत मे सबसे बड़े धर्म हिन्दू के संस्थापक भी गुरु नानक के अनुयायी थे और करतारपुर साहिब गुरुद्वारा जाना उनका भी स्वप्न था। उन्होंने कहा कि वर्षों से हिन्दू धर्म की परंपरा अपने बड़े बेटे को सिख में परिवर्तित करने की रही है। भारत मे सिख धर्म का प्रभुत्व काफी प्रभावशाली था।
पाकिस्तान सरकार ने करतारपुर गलियारे पर अपना प्रस्ताव भी प्रस्तावित कर दिया है, श्रद्धालुओं की संख्या पर पंजाब के मुख्यमंत्री ने सवाल उठाए है।
उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं को 15 व्यक्तियों के समूह के रखने की शर्त सही नही है, हर एक श्रद्धालु को दर्शन करने की इजाजत होनी चाहिए। श्रद्धालुओं के लिए खुले दर्शन की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि प्रतिदिन केवल 500 श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए पाबंद नही होने चाहिए, जब गुरुनानक देव का 550 वीं सालगिरह का आयोजन किया जा रहा हो। उन्होंने भारत और पाकिस्तान की सरकार से बैठक सभी मसलों का समाधान निकालने की गुजारिश की है ताकि श्रद्धालु बिना रुकावट के दर्शन कर सके।
भारतीय सीमा के गुरदासपुर से यह गुरूद्वरा केवल 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।पाकिस्तान के विदेश विभाग के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा कि पाकिस्तान में स्थित भारतीय दूतावास के माध्यम से इस प्रस्ताव को भारत को सौंपा गया है।