Thu. Dec 19th, 2024

    बोगीबील रेल पुल जिसका गतवर्ष 2018 के अंत में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उदघाटन किया गया था, उस पर वाहनों की आवजाही बड़ी तादाद पर शुरू हो गयी है। भारतीय रेल विभाग के लिए इस पुल का निर्माण के मील का पत्थर माना जा रहा है।

    बोगीबील रेल पुल के बारे में जानकारी :

    बोगीबील पुल का निर्माण 1997 में शुरु किया गया था। जनवरी 1997 में, तत्कालीन पीएम एचडी देवगौड़ा ने इस परियोजना की आधारशिला रखी थी, और अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में पुल के निर्माण कार्य का उद्घाटन किया था। पुल को पूरा होने में 21 साल लग गए।

    यह पुल असम के डिब्रूगढ़ एवं धेमाजी जिलों को आपस में जोड़ेगा। इस पूल के शुरू होने के बाद इन दोनों जिलों के बीच यात्रा का समय 4 घंटे तक कम हो जाएगा। इस पुल की वजह से इन जिलों के बीच 170 किल्मीटर की दूरी कट जाएगी।

    कुछ ख़ास बातें :

    1. इस पुल को बनाने में स्वीडन एवं डेनमार्क के पुल जैसी तकनीक प्रयोग की गयी है जिससे यह भारत का एकमात्र वेल्ड पुल है एवं इसमें रखरखाव भी ज्यादा नहीं होता है।
    2. यह पुल एशिया का रेल एवं रोड को जोड़ने वाला सबसे बड़ा पुल है एवं अधिकारियों का कहना है की या 120 साल तक चलेगा।
    3. इस पुल के नीचले हिस्से में दो रेलवे ट्रैक हैं एवं ऊपरी हिस्से में तीन लेन की सड़क है। यह डिब्रूगढ़ एवं धेमाजी की यात्रा का समय 3 घंटे तक कम करेगा।
    4. इस पुल के उदघाटन के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तिनसुकिया-नहार्लगुन सिटी एक्सप्रेस ट्रेन का भी उदघाटन करेंगे जोकि एक हफ्ते में पांछ दिन चलेगी।
    5. इस 4.9 किलोमीटर लम्बे पुल को बनाने में इसके प्रारम्भिक बजट 3200 करोड़ से 2700 करोड़ ज्यादा लगत आई है। इसकी कुल लागत 5900 करोड़ रूपए है।

    भारतीय रेल विभाग को इस पुल से हो रहे हैं ये फायदे :

    • राजधानी शहर, गुवाहाटी को दरकिनार कर असम के ऊपरी क्षेत्र की यात्रा करने वाली माल गाड़ियों की दूरी 170 किमी तक काम हो गयी है।
    • पहले कर्मचारियों का परिवर्तन न्यू गुवाहाटी, लुमडिंग और मरियानी में किया गया था, जबकि अब नॉर्थ बैंक मार्ग में, रेलकर्मियों में परिवर्तन केवल रंगापारा में किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप रेलकर्मियों के दो सेट की बचत होती है।
    • इस पुल के निर्माण से पहले डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया तक की ट्रेनों को चलाने के लिए,  चार जोड़े ड्राइवरों और सहायक चालकों की आवश्यकता होती थी। अब, समान कार्य केवल दो जोड़ों द्वारा किया जा सकता है।
    • इसके अलावा, उत्तर बैंक मार्ग के माध्यम से माल गाड़ियों को पुनर्निर्देशित करके, यात्रा के समय के लगभग 8 से 10 घंटे बचाए गए हैं।
    • इस कदम से न केवल  ट्रेन की औसत गति में वृद्धि हुई है, बल्कि दक्षिण बैंक मार्ग में पुलों, रेलवे पटरियों और अन्य परिसंपत्तियों के रखरखाव के लिए भी अधिक समय दिया जाने लगा है।

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *