करतारपुर गलियारे पर पाकिस्तान और भारत के मध्य कई मतभेद अभी भी शेष है। हाल ही में पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में स्थित भारतीय दूतावास के जरिये करतारपुर गलियारे का पहला प्रस्ताव भारत को भेजा था। पाकिस्तान ने भारत को जल्द ही अप्पने प्रतिन्धियों को पाकिस्तान भेजकर करतारपुर गलियारे के प्रस्ताव को अंतिम रूप देने को कहा था।
भारत ने इस प्रस्ताव के लिए दो तिथियाँ बताई है जिसमे पाकिस्तानी प्रतिनिधि यात्रा कर इस मसौदे को अंतिम रूप दे सकते हैं। भारत सरकार ने 26 फ़रवरी और 7 मार्च 2019 की तारीख का निर्णय लिया है, जब पाकिस्तान के प्रतिनिधि समूह विचार-विमर्श कर इस मसौदे को फाइनल टच दे सकते हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम जल्द ही इस करतारपुर गलियारे से सिख श्रद्धालुओं का प्रवेश चाहते हैं।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार ने इस निर्णय को 22 नवम्बर 2018 को लिया था, क्योंकि यह प्रस्ताव लम्बे समय से अटका हुआ था। भारत सरकार ने आज पाकिस्तान के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा के साथ ही करतारपुर गलियारे का आंकड़े साझा किये हैं।
इस प्रस्ताव के तहत भारत के सिख श्रर्द्धालुओं को पाकिस्तान के नरोवाल में स्थित नानक साहिब गुरुद्वारे के दर्शन करने की अनुमति दी जाएगी। भारतीय सीमा के गुरदासपुर से यह गुरूद्वरा केवल 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।पाकिस्तान के विदेश विभाग के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा कि पाकिस्तान में स्थित भारतीय दूतावास के माध्यम से इस प्रस्ताव को भारत को सौंपा गया है।
पाकिस्तान के करतारपुर गलियारे के शिलान्यास समारोह में दो भारतीय मंत्रियों के शरीक होने पर शाह महमूद कुरेशी ने कहा था कि इमरान खान के सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर सीमा खोलने से भारत असमंजस में पड़ गया है। यह इमरान खान को गूगली थी, जिसके आगे भारत मजबूर हो गया था। इसका पलटवार करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि जब तक पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों पर रोक नही लगाता बातचीत सम्भव नहीं है। उन्होंने चुनाव में व्यस्तता के कारण इन समारोह में शरीक न होने के बाबत बताया था।