अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की वरिष्ठ अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने भारत मे किसानों की दशा पर अपनी राय पेश की है। गीता गोपीनाथ ने कहा कि किसानों की कर्ज माफी से किसी समस्या का समाधान संभव नही है। किसानों की परेशानी के लिए नकद सब्सिडी मुहैया करना एक उपयुक्त विकल्प है जिससे उनको समस्या का स्थायी समाधान होगा। उन्होंने कहा कि नकद राशि मुहैया करना कर्जमाफी से अच्छा विकल्प है।
दावोस में वैश्विक आर्थिक मंच में पहली बार अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए गीता गोपीनाथ ने कहा कि ‘मेरे ख्याल से कृषि क्षेत्र पर भारी संकट मंडरा रहा है और कर्जमाफी इसका एक स्थायी समाधान नही है, बल्कि किसानों को नकद सब्सिडी मुहैया करना बेहतर विकल्प है।’ उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों की उपज में वृद्धि के लिए आधुनिक तकनीक और उपयुक्त बीज मुहैया करना चाहिए।
आईएमएफ की वरिष्ठ अर्थशास्त्री बनने के बाद गीता गोपीनाथ पहली बार वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अपनी रिपोर्ट पेश कर रही थी। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्या का समाधान सिर्फ कर्जमाफी जैसे वादों से नही होगा।
रिपोर्ट के अनुसार गीता गोपानाथ ने कहा कि भारत को मौजूदा सरकार का मुख्य मुद्दा रोजगार मुहैया करना और कृषि क्षेत्रों की बेहतरी है। उन्होंने कहा कि यह वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी चुनौतीपूर्ण होगा, लेकिन यह देश के विकास के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण होगा।
विश्व आर्थिक आउटलुक में कहा गया कि साल 2019-20 में भारत की अर्थव्यवस्था की तीव्रता से बढ़ेगी। इस साल वैश्विक मंदी का दौर रहेगा।
भारत की जीडीपी इस वर्ष 7.5 फ़ीसदी की दर से बढ़ेगी। हाल ही कि रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक सलाहकार कंपनी पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत इस सूची में ब्रिटेन के एक कदम आगे बढ़ जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार समान विकास के स्तर और समान आबादी के कारण इस फेरहिश्त मे फ्रांस और ब्रिटेन पीछे होते रहते हैं। हालांकि अगर भारत इस सूची में आगे बढ़ता है तो उसका स्थान स्थायी होगा।