शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस जिओ एवं रिलायंस कम्युनिकेशन को तीन हफ़्तों का समय दिया गया है। इस समय में उन्हें निष्कर्ष पर आना होगा की DoT पर बकाया पिछला कर्ज कोण भरेगा। ऐसा करना रिलायंस कम्युनिकेशन एवं रिलायंस जिओ के बीच होने वाले सौदे की मंजूरी के लिए जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट का आर्डर :
शीर्ष अदालत ने कहा था कि दूरसंचार विभाग (डीओटी) आरकॉम और जिओ द्वारा पिछले बकाए को लेकर अपने बीच के मसले को हल करने के बाद ही इस सौदे के लिए आवश्यक अनापत्ति प्रमाणपत्र देगा। न्यायाधीश ने 7 जनवरी को अंतिम सुनवाई के दौरान कहा “बैठो और इसे अपने बीच में हल करो, यह हमारे लिए नहीं है। जब तक आप अपने बीच का समाधान नहीं करते, तब तक हम कुछ नहीं कर सकते। ”
आरकॉम एवं जिओ के सौदे की जानकारी :
आरकॉम ने हाल ही में अपने ऋणों को कम करने के लिए जिओ के साथ एक सौदा तय किया है जिसके अंतर्गत वह जिओ को 250 अरब रूपए में अपनी टावर परिसम्पतियाँ बेचेगा। ऐसा करने से वह अपने पिछले ऋण चुका पायेगा लेकिन दूरसंचार विभाग ने इसकी मंजूरी नहीं दी है। उनका यह मत है की रिलायंस पहले दूरसंचार विभाग में बाकी क़र्ज़ चुकाए उसके बाद ही उसे जिओ के सौदे की अनुमति दी जायेगी।
जिओ ने किया था सहायता से इनकार :
अब इस सौदे का परिणाम आरकॉम के हाथों में है यदि वह पहले अपने पिछले ऋण चुका देता है तो यह सौदा हो जाएगा लेकिन अगर ऐसा नहीं कर पाता है तो इस सौदे को मंज़ूरी नहीं मिल पाएगी। जिओ ने इस मामले में रिलायंस कम्युनिकेशन की किसी भी तरह की सहायता करने से इनकार कर दिया था। अतः जिओ की तरफ से रिलायंस कम्युनिकेशन को कोई भी आशा नहीं रही।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस कम्युनिकेशन के सामने शर्त रखी थी की उनके इस सौदे को तभी मंजूरी मिल पाएगी जब वह इस शर्त की पालना होगी। शर्त थी की दो दिनों के भीतर सरकार को कॉर्पोरेट गारंटी के रूप में पूर्व में 1,400 करोड़ रुपये मिले। रिलायंस रियल्टी, आरकॉम की एक इकाई द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली यह कॉर्पोरेट गारंटी, भूमि पार्सल के अतिरिक्त थी जिसे टीडीसैट के आदेश के अनुसार सुरक्षा प्रदान की जानी थी। DoT ने रिलायंस जियो को अपनी स्पेक्ट्रम बिक्री को मंजूरी देने के लिए रिलायंस कम्युनिकेशन को बकाया स्पेक्ट्रम शुल्क के लिए 2,950 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी प्रदान करने के लिए कहा था।