मेघालय में खदान में फंसे 15 खनिकों को निकालने के लिए चल रहे बचाव कार्य पर कड़ी नज़र रखने वाली सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को प्रशासन को लताड़ लगाई है। उन्होंने कहा-“अधिकारी शुरुआत में ही गंभीर प्रयास करने से चूक गए जब खनिक 13 दिसंबर वाले दिन से मेघालय में फंसे हुए थे।”
साथ ही कोर्ट ने केंद्र को ये आदेश दिया है कि वे 7 जनवरी तक बचाव कार्य में हुई प्रगति की एक्शन रिपोर्ट भी जमा कराये।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को कहा है कि खदान अवैध है और इसका ब्लूप्रिंट ना होने के कारण ये अभियान चलाना बेहद मुश्किल हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय नौसेना के प्रशिक्षित गोताखोर भी खनिकों तक पहुँचने में असफल रहे।
इस पर कोर्ट ने जवाब देते हुए कहा है कि खदानों के मालिको के खिलाफ जल्द कोई कदम उठाना चाहिए और कर्मचारियों को और सहने की जरुरत नहीं है।
गुरुवार वाले दिन भी सुप्रीम कोर्ट ने बचाव कार्य को लेकर राज्य सरकार के प्रति निराशा जताई थी। याचिका की सुनवाई करते हुए उन्होंने सवाल उठाया है कि 13 दिसम्बर से फंसे इन लोगों की मदद करने में क्यों राज्य सरकार अभी तक सफल नहीं हो सकी।
उनके मुताबिक, “हम बचाव कार्य से संतुष्ट नहीं है। भले ही वो सब मृत हो, कुछ जीवित हो, कुछ मृत हो या सभी जीवित हो, सब को बाहर निकालना जरूरी है। हम भगवान से दुआ करते हैं कि वे सब जीवित हो।”