शुक्रवार वाले दिन, सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई को महज़ 15 सेकंड में टाल दिया। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने “आगे का आदेश 10 जनवरी वाले दिन उपयुक्त पीठ द्वारा पारित किया जाएगा” कहकर इस मामले की सुनवाई को आगे बढ़ा दिया।
हरीश साल्वे और राजीव धवन जैसे वरिष्ठ वकीलों को अपनी अपनी बात तक कहने का मौका नहीं मिला। दोनों अलग अलग पार्टी के लिए कोर्ट में पेश हुए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका को भी खारिज़ कर दिया जिसमे अयोध्या मामले को तत्काल और प्रतिदिन के आधार पर सुनने की माँग की गयी थी। ये याचिका वकील हरिनाथ राम द्वारा नवंबर 2018 में दर्ज़ कराई गयी थी।
24 दिसंबर वाले दिन, सुप्रीम कोर्ट ने एक उपयुक्त पीठ के सामने इस मामले की सुनवाई के लिए एक तारिख तय करने का फैसला लिया था। उसी दिन, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि केंद्र सरकार ये चाहती है कि अयोध्या मामले की सुनवाई प्रतिदिन के आधार पर होनी चाहिए।
12 नवंबर वाले दिन, सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की जल्द सुनवाई की माँग वाली याचिका को खारिज़ कर दिया था।
पिछले साल, टॉप कोर्ट ने मुस्लिम पार्टी की उस याचिका को भी खारिज़ कर दिया था जिसमे इस मामले को पांच जजों वाली संविधान पीठ को भेजने के लिए कहा गया था। और उन्होंने सुनवाई शुरू करने की तारिख 29 अक्टूबर तय कर दी थी।
हालांकि, 29 अक्टूबर वाले दिन, सुप्रीम कोर्ट ने उचित आदेश के लिए मामला 4 जनवरी पर टाल दिया था।