Sat. Nov 23rd, 2024
    कादर खान के बेटे ने गोविंदा पर की टिपण्णी: कितनी बार उन्होंने अपने पिता समान की तबियत के बारे में पूछताछ की

    कादर खान के निधन के बाद, सोशल मीडिया के जरिये उन्हें श्रद्धांजलि देने वाले की सूची में बॉलीवुड अभिनेता और कादर खान के फिल्मों के जोड़ीदार गोविंदा भी शामिल थे। उन्होंने कादर जी को अपने पिता समान बुलाया था। मगर उनके बेटे सरफ़राज़ खान ने बताया कि कैसे फिल्म इंडस्ट्री ने उनके पिता कादर खान को नजरअंदाज कर दिया और वे अपने तीनों बेटो के साथ कनाडा आ गए रहने के लिए।

    गोविंदा के ऊपर सवाल किये जाने पर सरफ़राज़ से मजाक बनाते हुए कहा-“कृप्या करके गोविंदा से पूछिये कि उन्होंने कितनी बार अपने पिता समान की तबियत के बारे में पूछताछ की। मेरे पिता के जाने के बाद क्या उन्होंने एक बार भी हमें फ़ोन करने की परेशानी उठाई। हमारी फिल्म इंडस्ट्री ऐसी ही बन गयी है। यहाँ कई सारे आपको ऐसे वफादार मिल जाएँगे जिनकी ‘नज़र से गए तो दिमाग से गए’ मानसिकता हो चुकी है। और हम इसमें कुछ नहीं कर सकते।”

    “मेरे पिता हमेशा कहा करते थे कि बेटा कभी किसी इन्सान से किसी चीज़ की उम्मीद मत करना। और हम इसी सोच से बड़े हुए हैं कि जीवन में जो आवश्यक है उसे करना चाहिए और बदले में किसी की भी अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।”

    हालांकि दर्द उनकी आँखों में झलकता है क्योंकि कादर खान की मृत्यु के बाद इंडस्ट्री से ज्यादा लोगों ने उनके बेटे को कॉल करने की जहमत नहीं उठाई।

    भावुक होते हुए उन्होंने कहा-“फिल्म इंडस्ट्री से कई ऐसे लोग हैं जो मेरे पिता के करीबी थे। मगर मेरे पिता ने सबसे ज्यादा प्यार बच्चन साहब(अमिताभ बच्चन) से किया। मैं जब भी अपने पिता से पूछता कि इंडस्ट्री से ऐसा कौन है जिसे वे सबसे ज्यादा याद करते हैं तो तुरंत जवाब आता बच्चन साहब। और मैं जानता हूँ कि ये प्यार दो-तरफ़ा था। मैं चाहता हूँ कि बच्चन साहब को पता चले कि मेरे पिता अंत तक उनके बारे में बाते किया करते थे।”

    “भारतीय सिनेमा में तब तक तुम्हारी कदर होती है जब तक तुम काम करते हैं फिर उसके बाद भले ही तुमने कितना भी योगदान दिया हो, तुम्हारे लिए कोई सच्ची भावनाएं नहीं बचती हैं। फिर स्नेह केवल तस्वीरो तक ही सीमित रह जाता है। जरा उस अवस्था को देखिये जिसमे ललिता पवारजी और मोहन चोटीजी की मौत हुई थी। सौभाग्य से, मेरे पिता के पास उनकी देखभाल करने के लिए तीन बेटे थे। उन लोगों के बारे में क्या जो बिना किसी वित्तीय और भावनात्मक समर्थन के मरते हैं?”

    कादर खान जी अंतिम दिनों तक अपने चाहनेवालों के साथ घिरे हुए थे। “जब मेरे पिता की मृत्यु हुई तब भी उनके चेहरे पर मुस्कान थी। मैं उस मुस्कान को दुनिया में बाकी चीजों के मुकाबले, सबसे ज्यादा संजोना चाहता हूँ। मेरे पिता के आखिरी साल बेहद दर्दनाक थे। वह एक अपक्षयी बीमारी से पीड़ित थे जिसने उनके अन्दर कुछ भी करने की इच्छा को मार दिया दिया था। उन्हें यहाँ टोरंटो में बेहतर चिकित्सक देखभाल मिली।”

    कादर खान के तीनों बेटे टोरंटो में बेहद करीब रहते हैं। सरफ़राज़ ने कहा है कि उनका परिवार उनकी विरासत को आगे बढ़ाना चाहता है।

    उनके मुताबिक, “मेरे पिता ने हिंदी सिनेमा को काफी योगदान दिया है। हम उनकी स्मृति को पर्याप्त और प्रासंगिक तरीके से सम्मानित करना चाहते हैं। फ़िलहाल तो हम उनके जाने का शोक मना रहे हैं। मगर मैं दुनिया भर में फैले उनके प्रशंसकों को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि हम फिल्म इंडस्ट्री को उन्हें भूलने नहीं देंगे।”

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *