राफेल मुद्दे पर पहली बार बीजू जनता दल ने चुप्पी तोड़ी और वो संसद में सरकार को घेरते हुए कांग्रेस के साथ खड़ी नज़र आई। बीजेडी सांसद कैलाश नारायण सिंह देओ ने संसद में राफेल मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि राफेल की कीमत पर सवाल उठ रहे हैं, और ये सब जानते हैं कि वही विमान क़तर ने बहुत ही कम कीमत पर खरीदा।
उन्होंने कहा कि डील के बारे में सदेह है और ऐसी स्थिति में सांसदों से मूक दर्शक बने रहने की उम्मीद नहीं की जा सकती।
उन्होंने कहा कि ये राष्ट्र के लिए सबसे बड़ी क्षति है कि यूपीए द्वारा अंतिम रूप दिए गए पहले सौदे में लगाए गए टेक्नोलॉजी के हस्तांतरण को को मोदी सरकार ने नयी डील में स्थान नहीं दिया।2015 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जिस सौदे की घोषणा की गई थी, उसमें भारत को टेक्नोलॉजी का हस्तांतरण शामिल नहीं था।
देओ के अनुसार ‘यूपीए के वक़्त टेक्नोलॉजी की हस्तांतरण था लेकिन एनडीए के वक़्त नहीं है। ये क्यों नहीं है इसपर सरकार को एक श्वेतपत्र लाना चाहिए।
जेपीसी की मांग किये बिना देओ ने कहा कि डील पर करीब से नज़र डालने की जरूरत है। देश के लोगों को पता होना चाहिए कि परदे के पीछे क्या चल रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पिछले कई महीनों से राफेल में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा रहे हैं जबकि अब तक बीजेडी ने इस मुद्दे पर खामोशी बारात रखी थी। इससे भाजपा और बीजेडी के बीच लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र बढती करीबी के रूप में भी देखा जा रहा था।
बीजेडी के अलावा भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने भी भाजपा के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी है। कुछ दिनों पहले ही एक रैली में प्रधानमंत्री के लिए ‘चौकीदार चोर है’ का प्रयोग करने के बाद अब शिवसेना ने राफेल पर जेपीसी जांच की मांग की है।
शिवसेना ने कहा कि “जब हम एक इमानदार सरकार चला रहे हैं तो फिर जेपीसी से क्यों भागना?”