मेघालय की खदान में फंसे 15 खनिकों के जीवन को बचाने के लिए जारी रेस्क्यू ऑपरेशन में काफी समस्याएँ उत्पन्न हो रही है। खदान में जल का स्तर कम न होने के कारण भारतीय नौसेना के 15 गोताखोर, ओडिशा के 21 फायर ब्रिगेड के सुरक्षा कर्मी और अन्य बचाव कर्मी प्रवेश करने में असमर्थ है। इस खदान में 13 दिसम्बर से 15 खनिक फंसे हुए हैं।
जिला पुलिस अधीक्षक ने कहा कि खदान से जल को बाहर निकालने के लिए हाई पॉवर पंप और अन्य उपकरण लगाये गए हैं, लेकिन इसमें अभी कुछ समय लगेगा। भारतीय नौसेना और एनडीआरएफ की टीम शनिवार को खदान के अन्दर उतरी थी। जिससे वहां इकठ्ठा हुए जल का अनुमान लगाया जा सका था।
जिला विभाग ने कहा कि मैन पॉवर और तकनीकी समस्याओं के कारण इस अभियान की अभी शुरू नहीं किया जा सका है। गोताखोरी के ख़ास यंत्रों और उपकरणों से लैस नौसेना की 15 सदसीय टीम शनिवार को घटना स्थल पर पहुंची थी। अधिकारीयों ने बताया कि ओडिशा अग्निशमन व इमरजेंसी सर्विसेज खदान से पानी बाहर निकालने के लिए रविवार को 10 पॉवरफुल पंप देंगी।
उन्होंने बताया कि धनबाद के इंडियन स्कूल ऑफ़ माइंस से जानकारों की एक टीम शनिवार को यहाँ पंहुची। उनके साथ एक खदान दुर्घटना में कई लोगों की जान बचाने वाले जसवंत सिंह भी यहाँ आये हैं, जो इस अभियान में सहायता करेंगे। अधिकारी ने कहा कि 370 फीट गहरे खदान से अभी जल बाहर निकालने का कार्य शुरू नहीं हो सका है।
एनडीआरएफ की टीम हादसे के एक दिन बाद से ही बाचाव कार्य में जुटी है। पहाड़ों में स्थित इस खदान में 13 दिसम्बर को नजदीक की लितेन नदी का पानी भर गया था। जिसके कारण 15 खनिक इसके अन्दर ही फंस गए थे। इस हादसे में सुरक्षित एक व्यक्ति ने कहा कि नाकि फंसे मजदूरों का जीवित बाहर निकलना संभव नहीं है।
खदानों में फंसे खनिकों के परिवारों में उनके जिन्दा होने की उम्मीद खत्म हो चुकी है और मजदूरों के शवों को बहार निकालने का आग्रह किया जा रहा है। स्थानीय निवासी शोहर अली के बेटे, दामाद और भाई इस खदान में फंसे हुए हैं, उन्होंने कहा कि “मैं चाहता हूँ खदान में फंसे मेरे परिवारवालों के शव को बाहर निकाल दिया जाए ताकि हम उनका अंतिम संस्कार कर सके।” उन्होंने कहा कि मजदूरों को 2000 रूपए प्रतिदिन की ध्याड़ी का लालच दिया गया था।