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    केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता स्मृति ईरानी ने शुक्रवार को कहा कि सरकार में धर्म की कोई भूमिका नहीं है।

    उन्होंने कहा कि सबरीमाला मंदिर में जब सुप्रीम कोर्ट ने मासिक धर्म की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी तो ये मुद्दा, राष्ट्रीय बहस का विषय बन गया और इसे राजनितिक उपकरण” के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

    केंद्रीय कपड़ा मंत्री आईआईटी बॉम्बे के वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव ‘मूड इंडिगो’ के 48 वें संस्करण में बोल रही थी।

    ईरानी ने कहा,”सरकार में धर्म की कोई भूमिका नहीं है। शासन और राजनीति के बीच अंतर होना चाहिए। लेकिन, दोनों के बीच एक अच्छा संतुलन देश की सेवा कर सकता है।”

    सबरीमाला मंदिर में 10-50 आयु वर्ग में महिलाओं के प्रवेश पर बहस में एक सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रत्येक धर्म और मंदिरों की अपनी प्रथाएं हैं और किसी के अपने विश्वास का पालन करने की स्वतंत्रता संविधान में निहित है।

    मंत्री ने कहा, “सबरीमाला मुद्दे को एक राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। किसी को संविधान के संदर्भ में उचित प्रतिबंधों का अध्ययन करने और इसे समान अधिकारों पर हर दूसरी बहस का मुद्दा बनाने की आवश्यकता नहीं है।”

    ‘मी टू’ आंदोलन पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों को उनके बढ़ते वर्षों में साथी मनुष्यों के लिए आपसी सम्मान करना सिखाया जाना चाहिए।

    ईरानी ने कहा, “पीड़िता के लिए बोलना आगे बढ़ने का तरीका है। एक महिला को बस एक समान अवसर की आवश्यकता होती है ताकि वह खुद को सशक्त बना सके।”

    उन्होंने कहा, “लोगों को दुसरे का ओ हैं उसके लिए उनका सम्मान करना चाहिए न कि जज बनना चाहिए या उन्हें सज़ा या अपमानित करना चाहिए क्योंकि उनके विचार अलग हैं।”

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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