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    नेपाल में रेलवे लाइन एक गेम चेंजर

    नेपाल और चीन के मध्य जब पहली बार रेलवे की परियोजना को शुरू करने पर विचार किया गया तो ऐसा लगा यह प्रोजेक्ट कभी संपन्न नहीं होगा। यह प्रस्तावित रेलवे लाइन चीन और नेपाल को भूमि और समुंद्री मार्ग से जोड़ेगी। पहाड़ों की उंचाई और अत्यधिक चुनौतीपूर्ण मार्ग इस रेलवे लाइन के निर्माण को मुश्किल बना देंगी, वो भी चीनी विशेषज्ञों के लिए जो तकनीक कौशल में सर्वोपर्री है।

    नेपाल चीन के तकनिकी अध्य्यन के मुताबिक इस प्रस्तावित रेलवे लाइन यानी ग्यिरोंग-काठमांडू के निर्माण की अनुमानित लागत 257 अरब डॉलर होगी और इसे पूर्ण होने में नौ वर्ष का समय लगेगा। तकनीकी चुनौतियों के आलावा इस प्रस्तावित रेलवे लाइन पर आलोचक भी सवाल उठा रहे हैं। आलोचकों के मुताबिक अरबों रूपए की इस परियोजना के लिए चीन आर्थिक मदद कहाँ से लाएगा। चीन नेपाल के माध्यम से एक रेलवे मार्ग का निर्माण करना चाहता है ताकि वह समद्री मार्ग के द्वारा आसानी से भारतीय बाज़ारों में प्रवेश कर सके।

    लिहाजा प्रश्न यह भी उठता है कि क्या नेपाल चीन के साथ इस महगी परियोजना के निर्माण के लिए भारत के खिलाफ जायेगा। हालांकि इन चुनौतीपूर्ण संभावनाओं में यह परियोजना एक स्वप्न के माफिक प्रतीत को रही है। शिगात्से से ग्यिरोंग तक की रेल परियोजना का निर्माण पूर्ण होने की सम्भावना साल 2020 तक है, इसके लिए दोनों राष्ट्रों के मध्य संयुक्त बैठक और प्रारंभिक कार्य जारी है।

    नेपाल में इस रेलवे परियोजना को एक गेम चेंजर के तौर पर देखा जा रहा है, न सिर्फ व्यापार और कनेक्टिविटी की क्षमता में वृद्धि के लिए, बल्कि भारत तक पंहुचने के मार्ग में भी अहम भूमिका निभाएगा। इस रेल परियोजना को साल 2015 में प्रस्तावित किया गया था, जब भारत ने नेपाल पर आर्थिक नाकेबंदी लागू कर दी थी। भारत ने नेपाल को पांच महीनो तक ईंधन और अन्य सामग्री निर्यात नहीं की थी।

    इस अवस्था में नेपाल को कोई दूसरा विकल्प तलाशना था, जिसने उसे उत्तर की तरफ दखेल दिया था। मार्च 2016 में नेपाल के तात्काली प्रधानमन्त्री केपी ओली ने चीन के साथ 10 समझौतों पर हस्ताक्षर किये थे, जिसमे अधिकतर इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी से सम्बंधित थे।

    नेपाल उच्च कीमत और तकनीकी चुनौतियों के बावजूद अगर इस रेल परियोजना के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। बेहद अटकले हैं कि चीन आखिरकार इस परियोजना का निर्माण क्यों करना चाहता हैं, क्या चीन आर्थिक फायदे के लिए कर रहा है या वह कुछ राजनीतिक हितों को साधने की कोशिश कर रहा है।

    नेपाल इस समुद्री पहुंच के साथ ही चीनी विकास का हिस्सा बनने का अवसर चाहता है। गीरॉन्ग-काठमांडू रेलवे का निर्माण यदि पूर्ण हो जाता है, तो क्षेत्र की राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य को बदलने का नेपाल के समक्ष एक बेहतरीन अवसर होगा।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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