केंद्र ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि राज्यपाल के पास जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है, क्योंकि किसी भी दल या गठबंधन ने सरकार बनाने का दावा नहीं किया था, साथ ही यह भी कहा कि वह राज्य में विधानसभा चुनाव कराने के लिए तैयार है।
राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के बारे में राष्ट्रपति की घोषणा पर प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए, गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कुछ विपक्षी दलों के उन दावों को भी खारिज कर दिया कि भाजपा सरकार बनाने के लिए एक क्षेत्रीय पार्टी का सहारा ले रही थी।
सरकार की तरफ से बोलते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर भाजपा को ऐसा करना होता तो 6 महीने के राज्यपाल शासन के दौरान ही कर चुकी होती।
गृह मंत्री ने कहा कि तत्कालीन राज्यपाल एन एन वोहरा ने सभी प्रमुख दलों के नेताओं से बात करने के बाद जून में एक रिपोर्ट भेजी थी कि उनमें से किसी ने भी सरकार बनाने का कोई इरादा नहीं जताया था। केंद्र सरकार राज्य में कोई गलत या अनैतिक कार्रवाई नहीं करेगी, सिंह ने कहा कि यह विधानसभा चुनावों के लिए तैयार है, लेकिन निर्णय चुनाव आयोग को लेना है। उन्होंने कहा “हम लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति समर्पित हैं।”
गौरतलब है कि 21 नवम्बर को जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने के लिए पीडीपी, कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस की कोशिशों के बीच राजयपाल सत्यपाल मलिक विधानसभा भंग करने की घोषणा कर दी थी।
भाजपा और सज्जाद लोन की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस गठबंधन कर के सरकार बनाने की कोशिश कर रहे हालांकि दोनों पार्टियों का मिलकर भी बहुमत के आंकड़े 44 तक पहुंचना असंभव था ऐसे में पीडीपी में फुट की ख़बरें आनी शुरू हो गई। भाजपा को सरकार बनाने से रोकने के लिए पीडीपी, कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच गठबंधन का फॉर्मूला तय हो चूका था लेकिन उससे पहले ही राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी।