भारत और पाकिस्तान के संबंधों में आम चुनावों तक कोई बदलाव दीखता नज़र नहीं आ रहा है। भारत में साल 2019 के आम चुनावों से पूर्व नई दिल्ली, इस्लामाबाद के साथ कोई बातचीत नहीं करेगी। न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के सूत्र ने बताया कि “जब तक भारत में आम चुनाव संपन्न नहीं हो जाते, भारत की तरफ सेकिसी पहले की आस मत रखिये। हम कोई राजनीतिक वार्ता नहीं करेंगे।”
भारत एक कदम उठाएगा, तो हम दो उठाएंगे
भारत और पाकिस्तान के द्विपक्षीय सम्बन्ध बिगड़ते जा रहे हैं, नई दिल्ली के मुताबिक पाकिस्तान आतंकियों का, भारत में आतंकी हमले के लिए समर्थन करता है। पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमन्त्री इमरान खान ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद कहा था कि अगर भारत शांति वार्ता के लिए एक कदम उठाएगा, तो पाकिस्तान उनकी तरफ दो कदम बढ़ाएगा।
पाक का आतंक को समर्थन एक बड़ी बाधा
भारत के मुताबिक जब तक पाकिस्तान अपनी सरजमीं पर पनप रहे आतंकियों को अपना समर्थन देना बंद नहीं करेगा, तब तक कोई वार्ता नहीं की जाएगी क्योंकि आतंक और वार्ता साथ संभव नहीं हो सकते हैं। भारत ने 20 सितम्बर को पाकिस्तान का प्रस्ताव स्वीकार करते हुए, दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाकात के लिए रजामंदी दी थी। भारतीय विदेश मन्य्री सुषमा स्वराज और पाकिस्तान के समकक्षी शाह महमूद कुरैशी संयुक्त राष्ट्र की बैठक के इतर मुलाकात करने वाले थे।
पाकिस्तान ने इसी बीच कश्मीर के चरमपंथी के सम्मान में डाक टिकट जारी किया और एक भारतीय पुलिस कर्मी की बर्बरता से हत्या की थी, इसके बाद भारत ने इस वार्ता को रद्द कर दिया था। पाकिस्तान ने करतारपुर गलियारे के शिलान्यास समारोह में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को आमंत्रित किया था, यकीन इस समारोह में केंद्रीय मंत्री हरसिमरत क्कौर बदल और हरदीप सिंह पूरी गए थे।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने इसके बाद कहा कि इमरान खान की यह गूगली थी। इसका प्रतिकार करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि पाकिस्तान सिखों की भावना का मखौल उड़ा रहा है। भारत ने स्पष्ट किया कि करतारपुर गलियारा एक धार्मिक समारोह था, इसके कोई कूटनीति मायने नहीं थे।