आतंकवादी संगठनों को आर्थिक मदद पहुंचाने वालो पर नज़र रखने वाली ग्लोबल वाचडॉग यानी वैश्विक निगरानीकर्ता समूह ने अपने निगरानी स्तर का विस्तार किया है। फाइनेंसियल एक्शन टास्क फाॅर्स ने अक्टूबर में कहा था कि आतंकियों को मदद मुहैया करने वाले संगठनों पर वे नज़र रखेंगे। पाकिस्तान को इस जून में एफएएटएफ ने आतंकियों पर शिकंजा कसने में विफल रहने पर ग्रे लिस्ट में डाल दिया था।
साल 2018 एफएएटएफ ने आतंकी फंड देने वालो पर निगरानी रखने वालों पर नज़र रखने का दायरा बढ़ा दिया था, जिसमे इस्लामिक स्टेट के साथ ही अल कायदा और उसके साथ भी शामिल है। इसमें ऐसे आतंकी संगठन है जो भारत पर हमला करने की फ़िराक में रहते हैं, मसलन लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद शामिल है। अक्टूबर में पाकिस्तान ने आगामी 15 महीनों के 27 पॉइंट के एक्शन प्लान अमल में लाये थे।
ग्रे लिस्ट में रखे जाने के बाद पाकिस्तान ने एफएएटएफ के साथ मिलकर आतंवादियों को फंडिंग मुहैया करने वालों के खिलाफ कार्य करने की प्रतिबद्धता दिखाई थी। पाकिस्तान के पास इस रणनीति पर कार्य करने के लिए तकनीकी तौर पर एक वर्ष से अधिक समय है। इस रणनीति में कोई प्रगति हो रही है या नहीं, इसकी चर्चा एशिया पैसिफिक समूह की आगामी जनवरी या फ़रवरी में आयोजित बैठक में होगी।
साल 2016 में चीन ने पाकिस्तान का बचाव किया था, चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के खिलाफ वीटो का इस्तेमाल किया था। मसूद अजहर को साल 1999 मे कंधार हाईजैकिंग के बदले रिहा किया गया था। यह भारत और चीन, साथ ही चीन के साथी पाकिस्तान के साथ कड़वे रिश्तों का बिंदु है। पाकिस्तानी विभाग ने आतंकियों को आज़ाद घूमने की इजाजत दे रखी है।
अमेरिका ने अफगानिस्तान से बाहर निकलने की घोषणा की है, इससे पाकिस्तान पर दबाव बढ़ जायेगा क्योंकि वह अफगानिस्तान में तालिबान सहित कई आतंकी समूहों को का समर्थन करता है। एफएएटएफ ने एक सार्वजनिक बयान में कहा था कि अब आतंकी समूह एक बार के आतंकी अभियान या चरमपंथ के लिए वन टाइम पेमेंट विकल्प का इस्तेमाल कर रहे हैं। एफएएटएफ, सभी पेमेंट जरियों पर निगाह बनाये हुए हैं, अल कायदा अपनी आतंकी गतिविधियों के लिए अफगानिस्तान और पाकिस्तान में तेल खनन करती है, यह भी एफएएटएफ के रडार में आता है।