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    rahul vs modi

    2019 के लोकसभा चुनाव से 4 महीने पहले आये दो सर्वे में से एक में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करती दिख रही है तो दुसरे सर्वे में बहुमत से थोड़ी दूर रहती दिख रही है। लेकिन दोनों ही सर्वे में एक बात साफ़ है कि एनडीए सबसे बड़ा गठबंधन बन कर उभरने वाला है।

    रिपब्लिक टीवी + सी वोटर और एबीपी न्यूज ने अपने अपने सर्वे के आंकड़े सोमवार को जारी किये।

    एबीपी न्यूज के सर्वे में एनडीए को पूर्ण बहुमत

    एबीपी न्यूज के सर्वे में सामने आया है कि अगर उत्तर प्रदेश में मायावती और अखिलेश यादव चुनाव पूर्व गठबंधन बना कर चुनाव में उतरते हैं तो एनडीए को भारी नुकसान हो सकता है। सपा + बसपा उत्तर प्रदेश में 80 में से 50 सीटें झटक सकता है, जबकि एनडीए 28 सीटों पर सिमट सकता है। 2014 में एनडीए ने 73 सीटें हासिल की थी।

    अगर मायावती और अखिलेश अलग अलग चुनाव में जाते हैं तो एनडीए 80 में से 72 सीटों पर कब्ज़ा कर सकता है। ऐसी स्थिति में बसपा को 2 औए समाजवादी पार्टी के खाते में 4 सीट जा सकती है जबकि 2 सीट कांग्रेस के खाते में।

    अगर उत्तर प्रदेश में महागठबंधन या सपा-बसपा गठबंधन नहीं होता तो एनडीए 291 सीटों के साथ सत्ता में वापस आ सकती है। और अगर उत्तर प्रदेश में महागठबंधन हुआ तो एनडीए का आंकड़ा 247 पर सिमट सकता है। मतलब बहुमत से 25 सीट दूर।

    रिपब्लिक टीवी + सी वोटर 

    सी वोटर के सर्वे में निकल कर सामने आया कि 2019 में एनडीए 247 सीटों पर सिमट सकता है जबकि यूपीए 171 सीटें हासिल करने में कामयाब हो सकता है।

    सर्वे के अनुसार 2014 में सिर्फ 44 सीट जीत पाने वाली कांग्रेस 2019 में 105 सीटों तक पहुँच सकती है। जबकि डीएमके तमिलनाडु में कांग्रेस की सबसे बड़ी सहयोगी बन कर उभरेगी। डीएमके तमिलनाडू में 30 सीटें हासिल कर सकती है।

    अन्य को 125 सीटें मिल सकती है और इन अन्य पार्टियों में सपा+बसपा उत्तर प्रदेश में 80 में से 50 सीटें हासिल कर सकती है।

    बिहार में एनडीए को जबरदस्त फायदा होता दिख रहा है। बिहार की 40 सीटों में से 35 सीटें एनडीए के खाते में जा सकती है जबकि 5 सीटें महागठबंधन को मिल सकता है।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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