पारिवारिक कलह के कारण लम्बे समय तक राजनीति से दूर रहने वाले राष्ट्रीय जनता दल नेता तेज प्रताप यादव ने सोमवार को राजद के प्रदेश कार्यालय में एक जनता दरबार लगाया और राज्य की राजनीति में अपनी दमदार वापसी के संकेत दिए।
सोमवार को उन्होंने कहा कि अगर उन्हें पार्टी का नेतृत्व सौंपा जाता है तो वो पीछे नहीं हटेंगे और अपनी जिम्म्र्दारी को निभाएंगे।
तेज प्रताप ने अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव के साथ मतभेदों की खबरों को खारिज कर दिया और इसे विपक्षी दलों की साजिश करार दिया।
उन्होंने अपने पिता लालू यादव के कमरे में बैठ कर जनता दरबार लगाया। उन्होंने कहा कि अब वो नियमित तौर पर आया करेंगे और वैसे ही जनता दरबार लगाया करेंगे जैसे उनके पिता लालू यादव लगाया करते थे।
उन्होंने कहा पार्टी और परिवार सबके सहयोग से चलता है। सबकी अपनी अपनी जिम्मेदारी है जिसे वो निभाता है। उन्होंने कहा “मेरे पिता मुझे जो भी जिम्मेदारी सौंपेंगे, वो मैं निभाऊंगा”
अपनी मंदिर यात्राओं के लिए जाने जाने वाले और अपनी राजनीति से ज्यादा देवताओं के भेस में रहने वाले तेजप्रताप यादव ने आमतौर पर कृष्ण की भूमिका अपने लिए रखी थी और अपने छोटे भाई तेजस्वी को अर्जुन कहा था। लेकिन लालू यादव के जेल जाने के बाद छोटे भाई द्वारा पार्टी की बागडोर संभालने के बाद भाई-बहन की प्रतिद्वंद्विता सामने आई थी। भाइयों के बीच मनमुटाव की खबरें सामने आईं, जिसकी पुष्टि सबसे बड़ी बहन मीसा भारती ने की।
पत्नी के साथ मनमुटाव और पारिवारिक तनाव के बीच तेज प्रताप सक्रीय राजनीति से दूर होते चले गए और ऐसे में उनके छोटे भाई ने पिता की अनुपस्थिति में पार्टी को संभाला।
पिछले महीने, तेजप्रताप ने वापसी की और राजनीतिक गतिविधियों को फिर से शुरू किया। जेल में अपने पिता के साथ दो घंटे की मुलाकात के बाद, उन्होंने यह भी दावा किया कि लालू यादव ने उन्हें “पार्टी को आगे ले जाने” के लिए कहा था। उन्होंने दोहराया कि उन्होंने अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव को “अर्जुन” के रूप में देखा और भगवान कृष्ण की भूमिका निभाने की कसम खाई।