मध्य प्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्य में उद्द्योगों में स्थानीय लोगों को 70 फीसदी रोजगार देने पर राज्य सरकार की तरफ से इंसेंटिव की घोषणा करने के बाद मचे बवाल के बाद कमलनाथ ने अपने फैसले का बचाव किया है और कहा है कि अन्य राज्यों में भी ऐसी पॉलिसी है।
पत्रकारों से बात करते हुए कमलनाथ ने कहा कि “ऐसी पॉलिसी अन्य राज्यों में भी है। कई राज्य ऐसे हैं जो स्थानीय निवासियों को राजगार देने को प्राथमिकता देते हैं। मैंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा जिसपर इतना हंगामा हो। स्थानीय लोगों को प्रमुखता तो मिलनी ही चाहिए।”
उनके इस व्यक्तव के बाद बिहार के मुजफ्फरपुर में सामाजिक कार्यकर्त्ता तमन्ना हाशमी ने कमलनाथ के खिलाफ एक याचिका दायर की है जिसमे नाथ पर यूपी और बिहार के लोगों पर अपमानजनक टिपण्णी करने का आरोप लगाया गया है।
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद कमलनाथ ने घोषणा किया था कि राज्य के उद्द्योगों में 70 फीसदी स्थानीय लोगों को रोजगार देने वाले फर्मो को सरकार की तरफ से इंसेंटिव (छूट) दिया जाएगा। उन्होंने कहा था “यहाँ कई उद्द्योग ऐसे हैं जहाँ बिहार और उत्तर प्रदेश से आ कर लोग नौकरी करते हैं जिसके कारण स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता। मैं उनकी आलोचना नहीं कर रहा लेकिन इस वजह से राज्य के युवा बेरोजगार रह जाते हैं।”
कमलनाथ के बयान पर भाजपा, जेडीयू और समाजवादी पार्टी ने कड़ा ऐतराज जताया था। संसद में शून्यकाल के दौरान भाजपा संसद संजय जायसवाल ने इस मामले को उठाया और कमलनाथ से माफ़ी मांगने की मांग की। उन्होंने कहा कि कमलनाथ ने क्षेत्र के आधार पर लोगों को बांटने का काम किया है। उन्हें माफ़ी मांगनी चाहिए।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी मकल्नाथ के बयां पर आपत्ति जताई और उन्होंने ट्वीट किया कि मध्य प्रदेश देश का दिल है। जो भी यहाँ आता है, यहीं का होकर रह जाता है।
मध्यप्रदेश में ना कोई इधर का हैं, ना कोई उधर का हैं। मध्यप्रदेश में जो भी आता हैं, यहाँ का हो कर ही बस जाता हैं। प्रदेश को हिंदुस्तान का दिल ऐसे ही नहीं कहते! क्यों ठीक कहा ना?
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) December 19, 2018