दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को पतंजलि की एक प्रमुख याचिका खारिज करते हुए इसे आयकर विभाग का सहयोग करने की चेतावनी दी है। यह पतंजलि के लिए एक बुरी खबर है।
जस्टिस एस रविंद्र भट और जस्टिसप्रतीक जालान की एक खंडपीठ ने विभाग के पक्ष में फैसला करते हुए अंतरिम राहत को हटा दिया, जिसने पिछले पांच वर्षों से पतंजलि के खिलाफ कार्यवाही को रोक रखा था।
क्या है मामला ?
जुलाई 2011 में आयुर्वेद कंपनी के जब टैक्स रिटर्न फाइल को जांच के लिए वापस खोला गया एवं इसके बाद कम्पनी ने 2013 में अपना हेडक्वार्टर बदल लिया था। राजस्व प्राधिकरण ने इस कंपनी को नोटिस थमाया था की क्यों इसके 2011 के साल का स्पेशल ऑडिट नहीं किया जाए ?
पतंजलि की प्रतिक्रिया :
नोटिस देने के बाद पतंजलि ने इसका विरोध करते हुए कहा की प्रस्ताव में नौ बिन्दुओं को ठीक से समझा नहीं रखा था एवं इसमें पर्याप्त जानकारी नहीं थी एवं उनके एकाउंट्स में किसी भी प्रकार की जटिलता नहीं है।
दूसरी तरफ आईटी विभाग ने पतंजलि के एकाउंट्स को जटिल मानते हुए स्पेशल ऑडिट को उचित ठहराया। आईटी विभाग ने कहा था कि खाते की किताबें अपूर्ण थीं और व्यावसायिक गतिविधियों के सामान्य पाठ्यक्रम में सही ढंग से बनाए रखा नहीं गया था। इसके अलावा, नकदी प्रवाह विवरण लेखा मानक के अनुरूप भी नहीं था।
विभाग के तर्क को स्वीकार करते हुए न्यायाधीशों ने कहा: “निस्संदेह, AO के पास अपने हिसाब से योजना लागू करने का कर्तव्य है और सभी नियमित मामलों में स्पेशल ऑडि के प्रावधान पर मुकरना नहीं चाहिए।”
कैसे हुआ यह खुलासा ?
इस साल अगस्त में पतंजलि प्रकाश में आया था क्योंकि इसने ऐसी कंपनियों में 325 करोड़ रुपयों का निवेश किया था जिनमे कोई काम नहीं चल रहा था। इस खबर से विभागों को पतंजलि के खातों में संदेह हुआ एवं इसके चलते ही IT विभाग ने स्पेशल ऑडिट करने की याचिका दायर की।