कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभाले राहुल गाँधी को एक साल हो गए। इन एक सालों में कांग्रेस के हाथों से कई राज्य दरक गए लेकिन साल ख़त्म होते होते हिंदी हार्टलैंड के तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान को भाजपा की मुट्ठी से छीन कर अपनी काबिलियत साबित की और साथ ही साथ भाजपा विरोधी महागठबंधन की सूरत में खुद को मोदी के सामने प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में मजबूती से स्थापित किया।
2014 के लोकसभा चुनाव में जबरदस्त हार के बाद कांग्रेस पार्टी पस्त हो गई थी और फिर बीते चार वर्षों में एक के बाद एक राज्यों की हार से कांग्रेस मुक्त भारत की भाजपा की परिकल्पना साकार होती लग रही थी। सोनिया गाँधी ने अस्वस्थता के बीच 11 दिसंबर 2017 को कांग्रेस की कमान राहुल गाँधी को सौंप दी।
जिस वक़्त राहुल ने कमान संभाली उस वक़्त 4 राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी – पंजाब, कर्नाटक, मिजोरम और पुदुचेरी। राहुल के कांग्रेस की बागडोर सँभालने से कुछ ही दिन पहले पंजाब में कांग्रेस ने सत्ता भापा- शिरोमणि अकाली दल से छिनी थी।
कर्नाटक में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा और भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन पहली बार राहुल गाँधी ने अमित शाह के मैनेजमेंट के सामने खुद को साबित किया और भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए जेडीएस के साथ गठबंधन कर लिया। यहाँ तक कि बड़ी पार्टी होने के बावजूद खुद से आधी सीटें जीतने वाली जेडीएस को मुख्यमंत्री पद सौंप दिया और भाजपा के लिए सत्ता में वापसी के सारे रास्ते बंद कर दिए।
उसके बाद त्रिपुरा में कांग्रेस को करारी हर का सामना करना पड़ा जहाँ भाजपा ने लेफ्ट के शासन को उखड कर खुद कब्जा कर लिया। कांग्रेस का वहां से नामो निशान मिट गया। लेकिन अभी कांग्रेस के लिए अच्छा वक़्त बाकी था।
हिंदी हार्टलैंड के तीन राज्य मध्य प्रदेश, छतीसगढ़ और राजस्थान कांग्रेस ने भाजपा से छीन लिया था। ये वो राज्य थे जिसमे 2014 में मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए दिल खोल कर वोट दिए थे और यहाँ की 65 लोकसभा सीटों में से 62 भाजपा की झोली में डाल दिया था।
ये सिर्फ एक जीत नहीं थी। पिछले 5 सालों में पहली बार कांग्रेस ने भाजपा को सीधे मुकाबले में हराया था। इस जीत से कई परिवर्तन आये। अब तक जो विपक्षी दल महागठबंधन की सूरत में राहुल के प्रधानमंत्री पद की दावेदारी पर नाक सिकोड़ते थे वो अब खुल कर राहुल के पक्ष में बोलने लगे। चेन्नई में डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने तो कई विपक्षी दलों के नेताओं की मौजूदगी में राहुल गाँधी का नाम प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के लिए प्रस्तावित कर दिया।
राहुल गाँधी भी पहले के मुकाबले ज्यादा सुलझे हुए और आक्रामक नज़र आते हैं। अब वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे हमले करने का कोई मौका नहीं गंवाते। सालों तक युवराज-युवराज जैसे ताने झेलने वाले राहुल अब मोदी को राफेल मुद्दे पर “चौकीदार चोर है” कह कर ताना मरते हैं और हमले करते हैं। राहुल के नेतृत्व में नई कांग्रेस उत्साह से लबरेज है और एक साल पहले तक किसी गिनती में न आने वाले राहुल अब प्रधानमंत्री मोदी के मुकाबले एक सशक्त प्रतिद्वंदी, जिसे कमतर आंकने की गलती अब भाजपा नहीं कर सकती।