मेघालय के न्यायाधीश ने कहा कि भारत को आज़ादी के बाद हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था। एक याचिका पर सुनावी करते हुए न्यायाधीश एस आर सेन ने कहा कि पाकिस्तान ने खुद को एक इस्लामिक राष्ट्र के तौर पर मान्यता दी थी। उन्होंने कहा कि विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था और भारत को भी खुद को हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहिए था, लेकिन भारत अभी तक एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है।
उन्होंने ने कहा कि राष्ट्रीय नागरिक पंजीकृत कार्यक्रम भी त्रुटिपूर्ण है, क्योंकि कई विदेशी भारतीय बन रहे हैं लेकिन असल भारतीय बाहर किये जा रहे हैं। उन्होंने असम के हिन्दूओं से एकजुट होकर इस मसले का समाधान निकालने की दरख्वास्त की है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति, धर्म और परम्पराएं एक जैसी है। उन्होंने कहा कि भाषा के आधार पर हमें एक-दूसरे से नफरत नहीं करनी चाहिए।
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एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का बयान
मेघालय के जज के इस बयान पर बिगड़ते हुए एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि भारत को एक हिन्दू राष्ट्र बने रहने की उनकी टिप्पणी अस्वीकार है। हैदराबाद से सांसद ने कहा कि न्याय तंत्र और सरकार को इस आदेश को लिखकर रखना चाहिए, क्योंकि यह नफरत फैलाने वाला आदेश है।
एआईएमआईएम के अध्यक्ष ने कहा कि जिस न्यायाधीश ने भारतीय संविधान की शपथ की ली थी, वह ऐसे गलत निर्णय नहीं दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत कभी एक इस्लामिक राष्ट्र नहीं बन सकता है, भारत हमेशा एक बहुलवादी और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र रहेगा।
मेघालय जज का आदेश
न्यायाधीश एसआर सेन ने कहा कि इन देशों से आये हिन्दुओं, सिखों, जैन, बौद्ध, पारसी, क्रिस्चियन, खासिस, जिंतिय्स और गारो को नागरिकता दी जाए। न्यायाधीश ने कहा कि मैं सम्मानीय प्रधानमन्त्री, गृह मंत्री, कानून मंत्री व अन्य सांसदों से विनती करना चाहूँगा कि इन देशों से आये लोगों को यहाँ सुकून से जीवन यापन करने दिया जाए। उन्होंने कहा कि इन लोगों को बिना दस्तावेजों और सवालों के नागरिकता मुहैया की जाए।
अदालत ने कहा कि यही नियम बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के निवासियों के लिए भी होने चाहिए। उन्होंने किसी भी वक्त भारत में बसने की आज़ादी होनी चाहिए और सरकार को उन्हें पुनर्वास मुहैया करके, भारत की नागरिकता प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विदेशों में रह रहे हिन्दुओं और सिखों के लिए भी यही नियम लागू होना चाहिए।