मंगलवार को आये विधानसभा चुनाव परिणाम में 3 राज्य गंवाने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी में मंथन का वक़्त है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक बुलाई है ताकि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मिली हार की समीक्षा की जा सके और 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र पार्टी के मनोबल को फिर से खड़ा किया जा सके।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद परिसर में साप्ताहिक संसदीय पार्टी की बैठक में भाजपा सांसदों से बात करेंगे। जनवरी के दूसरे सप्ताह में राजधानी में भाजपा के राष्ट्रीय परिषद की बैठक होने की भी उम्मीद है जिसमे देश भर के 2,000 पार्टी नेता लोकसभा चुनाव पर चर्चा करने के लिए इकट्ठे होंगे।
भाजपा के एक पदाधिकारी के अनुसार, “विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले बैठक की तारीख तय हो गई थी।” साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों का नतीजा – विशेष रूप से हिंदी हार्टलैंड में पार्टी के हाथ से तीन अहम् राज्य निकल जाने की भी चर्चा अब इस बैठक में होगी।
भाजपा के सूत्रों के अनुसार पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारी, राज्य इकाई अध्यक्ष, विभिन्न राज्यों के प्रभारी और कुछ अन्य आमंत्रित अप्रैल में होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारी के लिए नई दिल्ली में शाह द्वारा आयोजित बैठक में भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव परिणामों ने भाजपा के शासन वाले राज्यों में संगठन की सीमा के बार में खुलासा कर दिया है।
उन्होएँ कहा कि “हम मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 15 सालों से सत्ता में थे लेकिन कृषि संकट, नौकरी देने के मामले में कांग्रेस के आक्रामक चुनावी अभियान का मुकाबला नहीं कर सके।”
नेता ने कहा कि शाह अन्य राज्यों में जमीन स्तर की स्थिति के बारे में प्रतिक्रिया मांगेंगे, और प्रत्येक राज्य इकाई को संगठनात्मक गतिविधियों, राजनीतिक चुनौतियों और भविष्य के कार्यक्रमों पर एक रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।