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    इस्लामिक समूह के चरमपंथी

    इस्लामिक स्टेट समूह पर इराक की कीमती जीत के जश्न का आयोजन करेगा। इस्लामिक समूह के कब्जे में एक समय जो क्षेत्र था अब वह उस इलाके को वास्तव में गंवा चुका है लकिन अभी भी छिटपुट हमले करता रहता है। तीन वर्ष की भीषण जंग के बाद सरकार ने बीते दिसम्बर को जीत का इलान किया था। इस जंग में हजारों लोगों को जान गंवानी पड़ी और सैकड़ों को विस्थापित होना पड़ा था।

    इस जंग में सभी शहर और इलाके मलवे में तब्दील हो गए थे। सरकार ने सोमवार को छूट्टी का दिन घोषित किया और एक पल का मौन धारण करने की योजना बनायीं है। राजधानी के चेकपॉइंट्स को इराकी झंडे और गुब्बारों से सजा रखा था। साथ ही सुरक्षा बल देशभक्ति संगीत चलाकर पेट्रोलिंग कर रहे थे।

    इस जश्न पर सरकार ने बगदाद के किलाबन्द ग्रीन जोन को वापस खोलने और दूतावासों को जनता के लिए खोलने का फैसला लिया है। साल 2003 में अमेरिका के नेतृत्व से विद्रोहियों को दोबारा इस इलाके में पैर ज़माने का मौका मिल गया था। इस समूह ने सीरिया और इराक में इस्लाम के कड़े नियम लागू किये और विरोधियों की हत्या की थी। इस समूह ने हजारों अल्पसंख्यक यज़ीदी महिलाओं और लड़कियों का अपहरण कर उन्हें गुलाम बनने पर मजबूर किया था।

    इराक आज भी चरमपंथी समूह के बर्बर नियमों से जूझ रहा है। नार्वेजियन शरणार्थी परिषद् के मुताबिक देश में अब तक 18 लाख लोग विस्थापित हुए हैं और 80 लाख लोग मानवीय मदद के लिए तड़प रहे हैं। आईएस से जुड़े कई कई लोगों को उनके समुदाय ने निष्काषित कर दिया है। इनमे से हजारों बच्चों के पिता आईएस के चरमपंथी है जिन्हें यज़ीदी औरतों ने जन्म दिया है, उन्हें भी समुदाय ने बहिष्कृत कर रखा है।

    दो तिहाई विस्थापित लोगों ने कहा कि उनकी वापस घर लौटने की इच्छा नहीं है या लौटने में असमर्थ है। बाकी कई लोगों का कहना है कि उनके घर बर्बाद हो गए हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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