मालदीव में नव निर्वाचित सरकार के गठन के बाद आर्थिक तंगी का दौर शुरू हो गया है, मालदीव ने मदद के लिए भारत की मदद मांगी है और भारत ने भी हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है। मालदीव में भारत की एक बिलियन डॉलर की आर्थिक मदद के बदले सैन्य बेस के निर्माण की खबरों को मालदीव की सरकार ने खारिज किया है।
विदेश मंत्री अब्दुल्ला शहीद ने कहा कि मालदीव की सरजमीं किसी विदेशी सैन्य बेस के निर्माण के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ट्विटर पर अब्दुल्ला शहीद ने उन रिपोर्टों को खारिज किया है जिसमे आर्थिक सहायता के बदले मालदीव की सरजमीं भारतीय सैनिकों के बेस और अन्य गतिविधियों के इस्तेमाल की बात कही है। उन्होंने कहा कि यह बेबुनियादी है और सरकार के अपने पडोसी देशों और अंतर्राष्ट्रीय जगत के साथ मधुर संबंधों की शुरुआत के कारण बदनामी की जा रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार जनता को मालदीव के हित में निर्णय लेने के लिए सुनिश्चित करती है और देशों की संप्रभुता और लोकतंत्र के साथ समझौता करके किसी अंतर्राष्ट्रीय देश के साथ ताल्लुकात नहीं बनाये जायेंगे। मालदीव के विदेश मंत्री अपने प्रतिनिधि समूह के साथ चार दिवसीय भारत यात्रा पर आये थे। मालदीव के रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन प्रस्तावित कीमतों के तुलना में काफी अधिकार दामों पर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का निर्माण कर रहा है।
मालदीव के साथ संबंधों की प्राथमिकता की बात को दोहराया है जो विश्वास, पारदर्शिता, साझा समझ और संवेदनशीलता पर आधारित है। मालदीव ने भी भारत पहले की नीति को दोहराया और कहा कि उनकी सरकार भी भारत सरकार के साथ नजदीकी कार्य करने को तत्पर है।
आर्थिक विकास मंत्री ने कहा कि देश पिछले पांच सालों में हुए गिले शिकवे भुलाना चाहता है और भारतीय कंपनियों के साथ सभी मसलो का समाधान निकालना चाहता है, ताकि भारतीय कंपनिया मालदीव में व्यापार कर सके। उम्मीद हैं दोनों राष्ट्रों के मध्य द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौता होगा। चीन से मुक्त व्यापार समझौते पर उन्होंने कहा कि मैंने अधिकारियों से इसकी समीक्षा के लिए कहा है। इस पैक्ट की समीक्षा के बाद ही कोई फैसला लिया जा सकेगा।