भारतीय पुरुष बॉक्सिंग में भारत के नाम 1974 से अभी तक सिर्फ 4 कांस्य पदक हैं। महिलाओ की तुलना में पुरुष बॉक्सिंग का दूर-दूर तक नाम नही हैं। अभी तक खेली गई ग्यारह महिला चैंपियनशिप में भारत की महिला बॉक्सर के पास 32 मेडल हैं जिसमें 9 गोल्ड मेडल शामिल हैं। बॉक्सिंग एक ऐसा खेल हैं, जहा पर महिलाए पुरुषो से बहुत आगे हैं, और यह लीड मैरीकॉम की वजह से हैं।
2018 की आईबा विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप, जो कि देश की राजधानी दिल्ली में खेली गई थी, उसमें मणिपुर की बॉक्सर मैरीकॉम ने अपने नाम छठा गोल्ड मेडल जीता था, उन्होनें इस मेडल के साथ केवल आयरलैंड की खिलाड़ी केटी टेलर का रिकार्ड नहीं तोड़ा बल्कि, बल्कि क्यूबा के फेलिक्स सेवोन के रिकार्ड की बराबरी कर ली हैं।
मैरीकॉम फाइनल मुकाबले मे यूक्रेन की हन्ना ओखोटा से मैच जीती थी उन्होनें इस मैच को 5-0 से जीता था, “मैरीकॉम ने कहा यह मेरे लिए आसान नहीं था। यह बात सबको नहींं पता कि मैरीकॉम को अपने फाइनल मुकाबले से दो दिन पहले बुखार और डायरिया हो गया था”। मैरीकॉम ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि मौसम के बदलाव के कारण उनके पेट में भी बहुत दर्द हो रहा था और मेरा लगातार सिर दर्द भी चल रहा था, लेकिन मैनें फाइनल मुकाबले से पहले दबाई ले ली थी जिसके कारण मैं अपने फाइनल मुकाबले में उतरी और मैनें मैच भी जीता”।
35 साल की मैरीकॉम ने कहा कि “मैं बिलकुल अलग हूं, और सबसे अलग लड़की हूं। मैरीकॉम ने कहा कि मैच के दौरान मैं कभी दवाब नही लेती चाहे मैं मेच हार भी क्यों नहीं जाती। इससे पहले मैरीकॉम ने 2010 में गोल्ड मेडल जीता था। मैरीकॉम ने कहा कि अब मेरी अगला लक्ष्य 2020 के ओलंपिक मे गोल्ड लाना हैं, जिसके लिए मुझे वजन बढ़ाना है क्योंकि ओलंपिक और एशियन गेम्स में 48 क्रिगा भार वर्ग नहीं होता, इसलिए मुझे अपना वजन 51 किलो करना होगा तब में 2020 टोक्यो ओलंपिक में भाग ले पाऊंगी”।