अयोध्या में 211 मीटर राम मूर्ति बनाने के लिए राज्य सरकार के प्रस्ताव की निंदा करते हुए वाराणसी में धर्म संसद ने एक निंदा प्रस्ताव पास किया। धर्म संसद ने कहा कि ये भगवान का अपमान है। भगवान प्रार्थना करने के लिए हैं दिखावा के लिए नहीं। धर्म संसद में 1000 से अधिक संतो ने हिस्सा लिया।
द्वारकापीठ के शंकरचार्य स्वरुपनंद सरस्वती द्वारा आयोजित तीन दिवसीय ‘धर्म संसद’, विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा राम मंदिर निर्माण की मांग करने के लिए अयोध्या में ‘धर्म सभा’ आयोजित करने के ठीक बाद हो रहा है।
धर्म संसद के आखिरी दिन बुधवार को ‘धर्मादेश’ घोषित होने की उम्मीद है।
सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावित मूर्ति के मुद्दे पर धर्म संसद में कई बार चर्चा की गई थी। एक निंदा प्रस्ताव सोमवार को राजेंद्र सिंह द्वारा रखा गया था और साथी प्रतिभागियों द्वारा निंदा प्रस्ताव का समर्थन किया गया।
सिंह ने कहा कि इस समय जब पूरा देश राम मंदिर के बारे में बात कर रहा है, मंदिर के बिना एक मूर्ति की बात राम भक्तों को धोखा देने की तरह है।
एक अन्य संत परमहंस दास ने कहा, ‘यह गैर राजनीतिक लोगों की एक सभा है। यह सच है कि राम मूर्ति के प्रस्ताव की निंदा करने के लिए एक प्रस्ताव लाया गया था। उन्हें मंदिर बनाना चाहिए और मूर्तियों को प्रार्थनाओं के लिए अंदर लाया जाना चाहिए। खुले में पक्षी उन्हें गन्दा करेंगे।’ उन्होंने आगे कहा ‘राम हमारे आराध्य हैं, प्रदर्शन का विषय नहीं। हम निंदा प्रस्ताव का समर्थन करते हैं।’
गौरतलब है कि यूपी सरकार अयोध्या में सरयू के तट पर 50 मीटर ऊंचे पेड़ेस्टल (प्लेटफॉर्म) पर 151 मीटर ऊंची भगवान राम की प्रतिमा स्थापित करेगी। प्रतिमा के ऊपर 20 मीटर ऊँचा एक छत्र होगा और छत्र के साथ प्रतिमा की कुल ऊंचाई 221 मीटर होगी। इसके अलावा राज्य सरकार प्रोजेक्ट स्थल पर गेस्ट हाउस, राम कुटी, रामायण म्यूजियम बनाने की भी योजना बना रही है।