रोहिंग्या मुस्लिमों की बढ़ती दुर्दशा को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने भारत से मदद के लिए कहा है। संयुक्त राष्ट्र के उच्च अधिकारी राद अल-हुसैन के मुताबिक भारत को रोहिंग्या मुस्लिमों को देश से नहीं निकालना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र के एक प्रवक्ता हुसैन ने कहा था कि भारत को रोहिंग्या मुस्लिमों को देश से नहीं निकालना चाहिए। इसपर भारत की और से कहा गया कि भारत सिर्फ क़ानून का पालन कर रहा है। इसे मानवता का दुश्मन नहीं समझा जाना चाहिए।
भारत की और से कहा गया कि रोहिंग्या मुस्लिमों से देश की सम्प्रभुता को खतरा हो सकता है। ऐसे में सरकार ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाना चाहती है जिससे देश की सुरक्षा को नुक्सान पहुंचे।
हुसैन ने कहा, ‘मैं भारत के द्वारा रोहिंग्या मुस्लिमों को देश से निकालने के फैसले पर खेद प्रकट करता हूँ। इस समय में म्यांमार में इन लोगों पर बहुत अत्याचार हो रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में इस समय 40000 रोहिंग्या मुस्लिम रह रहे हैं, जिनमे से करीबन 16000 के पास आधिकारिक दस्तावेज हैं।
भारत के रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस भेजने के फैसले पर हुसैन ने कहा, ‘भारत को ऐसे समय में ऐसा फैसला नहीं करना चाहिए। म्यांमार में सेना द्वारा कड़े अत्याचार किये जा रहे हैं।’
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म्यांमार में इस समय सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गए हैं। म्यांमार से दो सप्ताह पहले करीबन 3 लाख रोहिंग्या मुस्लिमों ने पलायन किया था। इसके बाद सरकार को देश में रह रहे बौद्ध लोगों की सुरक्षा पर खतरा नज़र आ रहा हैं।म्यांमार से दो सप्ताह पहले करीबन 3 लाख रोहिंग्या मुस्लिमों ने पलायन किया था। इसके बाद सरकार को देश में रह रहे बौद्ध लोगों की सुरक्षा पर खतरा नज़र आ रहा हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा, ‘हमें खबर मिल रही है कि म्यांमार में हालत बदत्तर होते जा रहे हैं। सैटेलाइट के जरिये हमने देखा कि रोहिंग्या लोगों के रहने वाले इलाकों में आग लगा दी गयी है। सेना बड़ी मात्रा में हत्याकांड कर रही है। जनता पर गोलिया चलायी जा रही हैं।’
म्यांमार की सीमाओं पर लैंड माइंस बिछाए गए हैं जिससे कोई भी शरणार्थी वापस न आ सके।
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संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक यह घटना एक सम्प्रदय को पूरी तरह से साफ़ करने की कोशिश है। इसमें हम चाहते हैं कि म्यांमार की सरकार सेना द्वारा किये जा रहे अत्याचारों को रोके और रोहिंग्या मुस्लिमों को शरण दे।