एनडीए की दो सहयोगियों और दो हिंदूवादी पार्टियों भाजपा और शिवसेना में खुद को हिन्दू हितैसी साबित करने की नयी जंग शुरू हो गई है।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 25 नवम्बर को शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे की होने वाली बहुप्रतीक्षित अयोध्या यात्रा के दौरान किसी भी तरह रैली को को सम्बोधित करने की अनुमति देने से मना कर दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, प्रशासन ने 24 नवंबर की रैली के लिए अनुमति देने से इनकार करते हुए कहा कि राम कथा पार्क – विवादित बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि स्थल के बहुत करीब है और बेहद संवेदनशील क्षेत्र है और इससे डर है कि राम मंदिर पर किसी भी बड़ी टिप्पणी से तनाव पैदा हो सकता है।
शिवसेना को अब कार्यक्रम को गुलाब बारी में स्थानांतरित करने के लिए कहा गया है, जो विवादित स्थल से कई किलोमीटर दूर है। सूत्रों ने बताया कि सुझाव से नाखुश, ठाकरे के अयोध्या यात्रा के दौरान कोई भी सार्वजनिक बैठक आयोजित करने की संभावना नहीं है और वे बस धार्मिक नेताओं से ही मिलेंगे।
सूत्रों ने कहा कि शिवसेना उत्तर प्रदेश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है और उन असंतुष्ट हिंदुओं को लुभाना चाहती है जो भाजपा से परेशान हैं। पार्टी की राज्य में चुनिंदा सीटों पर 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने की भी योजना है।
शिवसेना के यूपी अध्यक्ष अनिल सिंह का कहना है कि उद्धव के रैली को शांति व्यवस्था बिगड़ने के डर से मंजूरी नहीं दी गई जबकि उसी दिन भाजपा और संघ समर्थित वीएचपी की रैली से शांति व्यवस्था को कोई ख़तरा नहीं होगा ये आश्चर्य की बात है।
सूत्रों के अनुसार भाजपा ने अपने सांसदों और विधायकों को ज्यादा से ज्यादा भीड़ अयोध्या लाने को कहा गया है। भाजपा इस रैली के जरिये राम मंदिर मुद्दे को अपने हाथों में रखना चाहती है।