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    नरेन्द्र मोदी और अशरफ गनी

    भारत ने सोमवार की कहा कि चीन के साथ अफगानिस्तान में नई दिल्ली अन्य साझा परियोजनाओं पर कार्य करने के इच्छुक हैं। हाल ही में चीन और भारत ने अफगानिस्तान के 10 कूटनीतिज्ञ सदस्यों को साझा प्रशिक्षण दिया था। अफगानिस्तान के कूटनीतिज्ञों का प्रशिक्षण 15-26 अक्टूबर तक चला था।

    भारत और चीन का अफगानिस्तान में यह पहला साझा कार्यक्रम था। भारत के प्रधानमन्त्री की अनौपचारिक वुहान यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति ने इस साझा कार्यक्रम के लिए रजामंदी दी थी। चीन का बॉर्डर अफगानिस्तान से जुड़ता है लेकिन वह अफगानिस्तान नीति में बामुश्किल ही पहल करता है।

    अफगानिस्तान ने पाकिस्तान पर आरोप लगाये थे कि वह आतंकी समूह तालिबान को समर्थन करता है, जिसके कारण देश में अस्थिरता का माहौल बनता है। अशरफ गनी ने आरोप लगाया था कि पाकिस्तान में बैठकर तालिबान के समूह को संचालित किया जाता है।

    चीनी प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्धघाटन समारोह में चीन में नियुक्त भारतीय राजदूत ने कहा था कि उम्मीद है, अफगानिस्तान के फायदे के लिए भारत की सरकार और चीन की सरकार आगामी महीनों में दोबारा कई साझा परियोजनाओंपर कार्य करेंगी। राजदूत ने वादा किया कि अफगानिस्तान को एक संघात्मक, सुरक्षित, शांतिपूर्ण, स्थिर और आर्थिक रूप से मज़बूत राष्ट्र बनायेंगे। उन्होंने दावा किया कि बीते 17 वर्षों में अफगानिस्तान के विकास के लिए भारत ने 3 बिलियन डॉलर दिए हैं।

    भारतीय दूतावास से जारी प्रेस रिलीज़ के मुताबिक भारत और अफगानिस्तान पड़ोसी देश है और साथ ही रणनीतिक और उन्नति में साझेदार है। अफगानिस्तान की जनता और सरकार की प्राथमिकताओं पर ही भारत सरकार के विकास कार्यों के प्रयास आधारित होते हैं। अफगानिस्तान में भारत के विकास कार्य का केंद्र बिल्डिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, मानव संसाधन विकास, कनेक्टिविटी, व्यापार और निवेश पर है। इनमे से अधिकतर विकास कार्य बीते सालों में पूर्ण हो चुके हैं।

    जारी सूचना में बताया कि साल 2017 से अफगानिस्तान में अगले स्तर की विकास साझेदारी शुरू हो जाएगी। उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष 3500 से अधिक कूटनीतिज्ञों को भारत में प्रशिक्षण दिया जायेगा।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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