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    पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

    पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि भाजपा अपने राज्यों के शहरों के नाम पर नाम बदलते जा रही है लेकिन पश्चिम बंगाल का नाम बदल कर बँगला करने के प्रस्ताव को दबा रखा है।

    एक फेसबुक पोस्ट में मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी अपने स्वयं के राजनीतिक हितों के अनुरूप लगभग हर दिन ऐतिहासिक स्थानों और संस्थानों के नाम बदल रही है।

    उन्होंने कहा कि ‘आजादी के बाद, राज्य और स्थानीय भाषा की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उड़ीसा से ओडिशा, पांडिचेरी से पुडुचेरी, मद्रास से चेन्नई, मुंबई से मुंबई, बैंगलोर से बेंगलुरू इत्यादि के नामों में बदलाव हुए हैं। वे सही हैं। लेकिन, बंगाल के संबंध में केंद्र सरकार का रवैया पूरी तरह से अलग है।’

    https://www.facebook.com/MamataBanerjeeOfficial/posts/2183389215061741

    बनर्जी ने कहा कि राज्य विधानसभा ने स्थानीय भावनाओं के आधार पर पश्चिम बंगाल के नाम को बदलने के लिए एक सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था।

    उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने अंग्रेजी, हिंदी और बंगाली में ‘बांग्ला’ नाम रखने के गृह मंत्रालय के अनुरोध भी किया था। उन्होंने कहा कि संशोधित प्रस्ताव लंबे समय से गृह मंत्रालय के साथ लंबित है।

    पश्चिम बंगाल ने 26 जुलाई को राज्य के नाम को बदलने के लिए राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया था। वामपंथी और कांग्रेस समेत सभी पार्टियां नाम बदलने के लिए सहमत हो गई थीं।

    उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज और फैजाबाद का नाम बदल कर अयोध्या रखा है। कई अन्य शहरों में पार्टी नेताओं द्वारा नाम परिवर्तन की मांग की जा रही है। गुजरात में बीजेपी सरकार अहमदाबाद को कर्णवती का नाम बदलने पर विचार कर रही है और पार्टी के नेताओं ने तेलंगाना में सत्ता की बात आने पर हैदराबाद का नाम बदलने का भी वादा किया है।

    टीएमसी सूत्रों ने कहा कि बनर्जी पश्चिम बंगाल का नाम बदलना चाहती हैं क्योंकि केंद्र सरकार के किसी भी सरकारी सर्कुलर में अंग्रेजी अल्फाबेट के अनुसार राज्य का नाम सबसे नीचे आता है। राज्य का नाम बदलने से यह सत्र के पहले भाग में मुद्दों को उठाने के लिए संसद में राज्य के सांसदों की मदद करेगा।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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