म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय पर अत्याचार के कारण नेता आन सान सू की से एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सर्वोच्च सम्मान छीन लिया है। आन सान से रोहिंग्या मुस्लिमों के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई न करने के कारण सम्मान वापस लिया गया है।
वैश्विक मानवधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि सू की को दिया गया एम्बेसडर ऑफ कॉन्शस अवार्ड वापस लिया जा रहा है। यह सम्मान उन्हें साल 2009 में, घर मे नजरबंद होने के दौरान दिया गया था। एमनेस्टी इंटरनेशनल के प्रमुख कुमि नायडू ने कहा कि इसका बेहद अफसोस है कि सू की उम्मीद, साहस और मानवधिकार की प्रतीक नही है। उन्होंने कहा कि इस बाबत सू की को रविवार को सूचना दे दी गयी थी हालांकि अभी उन्होंने कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नही की है।
बीते वर्ष सिटी ऑफ़ ऑक्सफ़ोर्ड की और से दिया गया सम्मान भी सू की से वापस ले लिया गया है। रोहिंग्या मुस्लिमो के खिलाफ हो रहे अत्याचार पर साहसिक कदम न उठाने के कारण यह निर्णय लिया गया था।
म्यांमार की नेता को लंबे समय तक लोकतंत्र के संरक्षण के लिए साल 1997 में यह अवार्ड प्रदान किया गया था। उन्होंने बताया कि परिषद की सर्वसम्मति से मसौदे को पारित कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि वह इस सम्मान कर लिए उपयुक्त नहीं है।
ऑक्सफ़ोर्ड सिटी कॉउन्सिल के नेता बॉब प्राइस ने कहा कि यह एक बेहतरीन कदम है और वह इस कदम का स्वागत करते हैं। प्रशासन का यह बेहद अच्छा कदम है। सिटी कॉउन्सिल 27 नवंबर को एक विशेष बैठक का आयोजन करेंगे जिसमे इन सम्मान को वापस लेने का अंतिम दिशानिर्देश दिया जाएंगे।
आन सान सू की का सिटी ऑफ ऑक्सफ़ोर्ड से पुराना नाता था। वह अपने परिवार के साथ पार्क टाउन में रहती थी। म्यांमार सेना के इस दमनकारी अभियान के तहत करीब पांच लाख रोहिंग्या मुस्लिम विस्थापित हो गए थे।