सीपीएम के जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी ने मंगलवार को डीएमके प्रमुख स्टालिन से मुलाकात की और आग्रह किया कि 2019 में तमिलनाडु में भाजपा के खिलाफ बनने वाले मोर्चे का नेतृत्व करें। येचुरी ने कहा कि नेताओं के रवैये से अधिक, यह जमीन से जुड़े लोग हैं जिन्होंने सबको साथ आने के लिए प्रेरित किया ताकि देश को बचाया जा सके।
मोदी को मजबूत कहने वाले रजनीकांत के बयान पर येचुरी ने कहा कि सत्ता में जो रहता है वो मजबूत ही होता है। उन्होंने 2004 में वाजपेयी और 2014 में मनमोहन सिंह की हार का सन्दर्भ भी दिया।
आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों, एन चंद्रबाबू नायडू और ममता बनर्जी द्वारा क्रमशः भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने के प्रयासों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ‘महागठबंधन एक वास्तविक प्रयास है और ये सफल होगा।’
उन्होंने कहा कि सभी पार्टियां अपने आपसी प्रतिस्पर्धा को भुला कर इसके लिए साथ आ रही है। स्टालिन के साथ आ कर उन्होंने कहा कि ‘जिस प्रकार ‘हम यहाँ साथ आये हैं उसी तरह सभी सेक्युलर ताकतें देश और लोकतंत्र बचने साथ आएँगी। ये महागठबंधन हम नहीं बना रहे, ये महागठबंधन जनता के प्रयासों से बन रहा है। ये एकता देशहित में है।’
येचुरी ने कहा कि सीपीएम तमिलनाडु में 2019 में डीएमके के नेतृत्व वाले मोर्चे का हिस्सा होगी। यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी गठबंधन का हिस्सा होगी, जिनके घटक तृणमूल कांग्रेस या कांग्रेस हो सकते हैं, अनुभवी कम्युनिस्ट नेता ने कहा, “भारत में गठजोड़ हमेशा मुख्य रूप से राज्य स्तर पर होते हैं। फिर उस आधार पर राष्ट्रीय गठबंधन उभर कर आता है।’
ये पूछे जाने पर कि अभी भाजपा और मोदी का कोई विकल्प नज़र नहीं आता तो येचुरी ने कहा कि ‘2004 में क्या हुआ था याद कीजिये। इण्डिया शाइनिंग के नारों के बीच वाजपेयी का कोई विकल्प नज़र नहीं आ रहा था लेकिन वो हार गए। 10 साल तक मनमोहन सिंह के सत्ता में रहने के बाद 2014 में उनका विकल्प बनकर मोदी आये। हर चीज का विकप होता है।’