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    रूस में आयोजित शांति वार्ता

    रूस ने अफगानिस्तान में शांति के लिए आतंकी समूह तालिबान और कई देशों के अधिकारियों के साथ बैठक का आयोजन किया था। भारत ने इस बैठक में गैर अधिकारिक प्रतिनिधि समूह को भेजा था।

    भारत ने शुक्रवार को अपना रुख साफ़ करते हुए कहा कि तालिबान के साथ बैठक रूस की अफगान नीति के तहत थी, लेकिन भारत इस बैठक में शामिल तालिबान से बातचीत करने के लिए नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए भारत इस सम्मलेन में गैर अधिकारिक स्तर पर शामिल हुआ था।

    इस बैठक का आयोजन शुरुआत में 4 सितम्बर को होना था लेकिन अफगान सरकार ने तालिबान के साथ बातचीत के लिए इनकार कर दिया था। हालांकि अफगान सरकार ने गैर अधिकारिक स्तर पर देश के उच्च शांति परिषद् को भेजा था। एक दिवसीय इस सम्मेलन का आयोजन रूस ने किया था और इसमें तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ ही भारत, ईरान, पाकिस्तान और अन्य देशों के प्रतिनिधि शरीक हुए थे।

    तालिबान के शरीक होने के बावजूद भारत के प्रतिनिधि को भेजने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत अफगान नेतृत्व, अफगान नियंत्रित किसी भी शाति प्रक्रिया का हिस्सा है। तालिबान के इस सम्मेलन में शरीक होने बाबत प्रवक्ता ने कहा कि हमने कब कहा कि हम तालिबान से बातचीत करेंगे। उन्होंने अफगानिस्तान में शांति से सम्बंधित किसी भी मसले पर भारत शामिल होगा क्योंकि यह भारत की अफगान नीति है।

    रुसी विदेश मंत्री ने कहा कि रूस और क्षेत्रीय साझेदार अफगान सरकार और तालिबान के मध्य बातचीत की प्रक्रिया को बढाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि यह बैठक अफगानिस्तान में बातचीत के जरिये सुलह प्रक्रिया को अंजाम देना था। मास्को में स्थित अमेरिको दूतावास ने इस बैठक में एक कूटनीतिज्ञ भेजा था।

    रुसी विदेश मंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अफगानिस्तान में शांति, स्वतंत्रता और समृद्धि देखना चाहता है, जो आतंकवाद और ड्रग तस्करी से मुक्त हो। तालिबान आतंकी समूह पर रुस में प्रतिबन्ध है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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