बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को शरण देने के कनाडा के ऑफर पर बांग्लादेश ने चुप्पी साध रखी है। कनाडा के अधिकारिक विभाग के मुताबिक उन्होंने बांग्लादेश में यौन शोषण की शिकार हुई महिलाओं सहित कई शरणार्थियों को पनाह देने का ऑफर दिया था। मई में कनाडा के विदेश मंत्री बांग्लादेश के दौरे पर गए थे।
कनाडा के विदेश मंत्री फ्रीलैंड ने कहा कि हम बांग्लादेश के साथ इस मुद्दे पर बातचीत के लिए इच्छुक है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की पीएम ने कहा था कि वह इस विषय में सोचेंगे। उन्होंने कहा कि दो सरकारों के मध्य बातचीत जारी है। म्यांमार में मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने बांग्लादेश से आग्रह किया है कि रोहिंग्या शरणार्थियों के देश वापसी के ख्याल को फिलहाल टाल दें।
म्यांमार में सैन्य अत्याचारों के बाद 70 हज़ार रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश में भाग आए थे। रोहिंग्या शरणार्थियों के संरक्षण के लिए कार्य करने वाले जानकारों ने बताया कि म्यांमार की आर्मी द्वारा प्रताड़ित की गयी महिलाओं को कानाडा को सौंप देना चाहिए क्योंकि इनमे से कई महिलायें गर्भवती है।
बांग्लादेश में इस वक्त 90 हज़ार शरणार्थियों का बसेरा है। इससे पूर्व साल 1978, 1991 और 1992 में रोहिंग्या शरणार्थी हिंसा के बाद म्यांमार से बांग्लादेश भागकर आये थे। म्यांमार रोहिंग्या समुदाय को वहां का नागरिक नहीं मानता है, वे रोहिंग्या समुदाय को बंगाली (बांग्लादेश से सम्बंधित) कहता है।
साल 2006 से 2010 के बीच में कनाडा ने 300 लोगों के लिए बांग्लादेश में शिविर लगाये थे। मानवाधिकार परिषद् ने बांग्लादेश को अमेरिका, कनाडा और यूरोपीय देशों से शरणार्थियों के बाबत बातचीत करने के लिए कहा था। कनाडा के विदेश मंत्रालय ने बताया कि हमने बांग्लादेश को सीमित शरणार्थियों को सौंपने का ऑफर दिया था, लेकिन बंगलादेशी सरकार ने इसे गोपनीय सूचना बताते हुए टिप्पणी करने से इनकार दिया था।
संयुक्त राष्ट्र मानवधिकार की प्रवक्ता ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थी अभी भी बांग्लादेश में आ रहे हैं और इनमे बलात्कार पीड़ितों का पुनर्वास करना प्राथमिकता है। साथ ही यौन उत्पीड़न के शिकार बच्चों का भी पुनर्वास करना बेहद जरुरी है।