प्रथम विश्व युद्ध के दौरान लड़ने वाले भारतीय सैनिक की प्रतिमा का अनावरण रविवार को किया था। गुरु नानक गुरुद्वारा ने इसे लायंस ऑफ़ ग्रेट वॉर प्रतिमा कहा, ब्रिटिश इंडियन आर्मी में शामिल होकर जिन जांबाज सैनिकों ने ब्रिटेन का साथ दिया था, यह प्रतिमा उन सभी सैनिकों का सम्मान हैं।
गुरु नानक गुरुद्वारा स्मेथ्विक्क के अध्यक्ष जतिंदर सिंह ने कहा कि इस प्रतिमा की स्थापना स्मेथ्विक्क स्ट्रीट के लिए गर्व की बात है। उस बहादुर सैनिक की प्रतिमा, जो किसी दूसरे देश के लिए लड़ने हजारों मिलो दूर तक गया था।
10 फीट ऊँची इस प्रतिमा का स्मेथ्विक्क हाई स्ट्रीट में विश्व युद्ध की 100 वीं सालगिरह पर अनावरण किया गया था। प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत नवम्बर 2018 में हुई थी। लायंस ऑफ़ ग्रेट वॉर की प्रतिमा का प्रोजेक्ट गुरुद्वारा और स्थानीय संड्वेल्ल काउंसिल ने साझा होकर संपन्न किया था।
इस प्रतिमा के लिए गुरुद्वारा ने 2000 पौंड की रकम का अनुदान किया था। जबकि संड्वेल्ल काउंसिल ने जनता के लिए बैठने और लाइट के कार्यों में निवेश किया था। संड्वेल्ल काउंसिल के अध्यक्ष ने कहा कि हमारे देश के लिए कुर्बान हुए लोगो की स्मृति रखना बेहद जरुरी है।
शिल्पकार लुका पैरी ने बताया कि जब मुझे पता लगा कि प्रथम विश्व युद्ध में 1.5 मिलियन भारतीय सनिकों को भेजा गया था। मुझे समझ नहीं आया कि इस देश में इतने लम्बे अंतराल तक उनके योगदान को नज़रंदाज़ क्यों किया गया। प्रतिमा के अनवरण के चंद दिनों बाद 11 नवम्बर को सैन्य दिवस आयोजित होगा।
इस सप्ताह की शुरुआत में ब्रिटिश पीएम थेरेसा में ने भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की थी। उन्होंने कहा कि अविभाजित भारत से लगभग 70000 सैनिकों ने भाग लिया और अपनी जान गवां बैठे थे। भारतीय सैनिकों की बहादुरी की बदौलत हम युद्ध जीतने में सफल हो पाए थे।
खादी पॉपी देश के सालाना फंड एकत्रित करने वाला अभियान है। आर्मी दिवस के दौरान राजनेता और अधिकारी पॉपी का लेबल लगायेंगे, जो सैनिकों को समर्पित होगा।