वरिष्ठ पत्रकार और लेखक उदयन मुखर्जी ने अपने एक इंटरव्यू में कहा है कि “नोटबंदी एक ‘दुर्घटना’ की तरह थी, जिसके लिए सरकार को माफ़ नहीं किया जाना चाहिए।” इसी के साथ ही मुखर्जी ने देश के आर्थिक हालत को ‘काफी अशक्त’ बताया है।
इसी के साथ मुखर्जी ने सरकार की आलोचना करते हुए नौकरी उत्पादन के मामले में सरकार को असफल बताया है।
न्यूज़18 को दिये गए अपने एक इंटरव्यू में मुखर्जी में बताया है कि सरकार ने कई मुद्दों को दरकिनार करते हुए नोटेबन्दी जैसी दुर्घटना को चुना, इसके लिए सरकार को कभी माफ़ नहीं किया जाना चाहिए।
मुखर्जी ने नोटेबन्दी को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि “यदि यही नोटबंदी किसी विकसित देश में हुई होती, तो वहाँ पर सरकार को उखाड़ फेंका गया होता। यह एक लापरवाह व कठोर कदम था, जो पूरी तरह से असफल रहा है।”
गौरतलब है कि दो दिन बाद ही 8 नवंबर को नोटबंदी की दूसरी सालगिरह है। इसी दिन 2016 को शाम 8 बजे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीवी पर आकर तत्कालीन 500 व 1000 के नोटों अवैध घोषित कर दिया था।
तब केंद्र ने इसे कालेधन के खिलाफ एक बड़ा कदम बताया था, हालाँकि बाद में आरबीआई ने अपने पास उस समय चलन में रही कुल मुद्रा का 99 फीसद से भी अधिक हिस्सा वापस आने की बात कही थी।
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देश की अर्थव्यवस्था पर बोलते हुए मुखर्जी ने कहा कि वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था बेहद बुरे हाल में है, इसके बावजूद सरकार देश की जनता का ध्यान जीडीपी के आंकड़ों तक ही सीमित रखना चाहती है। जबकि देश की अर्थव्यवस्था के और भी जरूरी पहलू हैं।
मालूम हो कि वर्तमान में देश कई तरह की आर्थिक चुनौतियों से गुज़र रहा है। इसमें डॉलर के मुक़ाबले रुपये की गिरती कीमत और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के बढ़ते दाम शामिल हैं।
इसी के साथ देश के राजकोषीय घाटे में भी अतिरिक्त दबाव बन रहा है।
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