भारत की पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत सोमवार को अपने पहले गश्त से लौट आई। सफलतापूर्वक लौटने पर इस परमाणु सबमरीन (एसएसबीएन) के दल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मानित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे एक ऐतिहासिक पल बताया।
चालक दल को बधाई देते हुए मोदी ने कहा, ‘आज ऐतिहासिक दिन है क्योंकि यह परमाणु त्रय की सफल स्थापना को पूरा करने का प्रतीक है। भारत का परमाणु त्रय वैश्विक शांति और स्थिरता का एक महत्वपूर्ण स्तंभ होगा।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘हमारे परमाणु कार्यक्रम को विश्व शांति और स्थिरता के लिए भारत के प्रयासों के संबंध में देखा जाना चाहिए।’
Dhanteras gets even more special!
India’s pride, nuclear submarine INS Arihant successfully completed its first deterrence patrol!
I congratulate all those involved, especially the crew of INS Arihant for this accomplishment, which will always be remembered in our history. pic.twitter.com/tjeOj2cBdX
— Narendra Modi (@narendramodi) November 5, 2018
मोदी ने कहा कि अपने नाम के अनुरूप, आईएनएस अरिहंत 130 करोड़ भारतीयों को बाहरी खतरों से बचाएंगे और इस क्षेत्र में शांति के माहौल में योगदान देगा।
आईएनएस अरिहंत को जुलाई 2009 में शिप बिल्डिंग सेंटर, विशाखापत्तनम में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की उपस्थिति में लॉन्च किया गया था। परमाणु पनडुब्बी विकसित करने और संचालित करने के क्षेत्र में भारत रूस, चीन, फ्रांस, इंग्लैण्ड और अमेरिका की लीग में शामिल हो गया है।
आईएनएस अरिहंत की सफलता भारत की सुरक्षा आवश्यकताओं को बढ़ाती है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि एसएसबीएन के स्वदेशी विकास और इसके परिचालन ने देश की तकनीकी शक्ति और सभी संबंधित लोगों के बीच तालमेल और समन्वय को प्रमाणित किया है।
परंपरागत डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां अपने बैटरी को रिचार्ज करने के लिए सतह पर आती हैं, जबकि परमाणु पनडुब्बी लंबे समय तक पानी के नीचे रह सकती है, इस प्रकार इसकी छुपे रहने की क्षमताओं को बढ़ावा मिलती है। बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में परमाणु कमांड अथॉरिटी के नियंत्रण में आती है।