पाकिस्तान के प्रधानमंत्री चीन की पहली आधिकारिक यात्रा से वापस वतन लौट आये हैं। सूत्रों के मुताबिक चीन और अमेरिका के मध्य छिड़े व्यापार युद्ध के कारण बीजिंग ने इमरान खान को खाली हाथ लौटा दिया हैं।
पाकिस्तान पीएम आर्थिक विपदा से निपटने के लिए चीन से आर्थिक सहायता चाहते थे। इमरान खान ने इस दौरे के दौरान चीन के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ अर्थव्यवस्था समेत भारत-पाकिस्तान के मुद्दों पर भी बातचीत की थी।
चीन दौरे से पूर्व इमरान ने उम्मीद जताई थी कि चीन आर्ह्तिक विपदा से निपटने के लिए पाकिस्तान की मदद करेगा। चीन के किसी आर्थिक मदद के ऐलान न करने के कारण पाकिस्तान मायूस है। पाकिस्तान मदद के लिए आईएमएफ का रुख नहीं करना चाहता है, क्योंकि आईएमएफ पाकिस्तान से सीपीईसी समेत सभी तरीके के कर्जों का खुलासा करने की मांग कर रहा है।
पाकिस्तान और चीन के साझे बयान के मुताबिक चीन ने भारत और पाकिस्तान की रिश्तों को सुधारने के लिए पाकिस्तान के प्रयासों की सराहना की थी। साथ ही दोनों देशो के मध्य विवादों को सुलझाने के लिए पाकिस्तान की तारीफ़ की थी। चीन ने पाकिस्तान का परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में सदस्यता का भी समर्थन किया था।
बयान के मुताबिक चीन ने पाकिस्तान का एनएसजी में स्वागत किया था और पाकिस्तान के प्रयासों की सराहना भी की थी। अमेरिका एनएसजी में भारत के समर्थन में रहता है जबकि चीन ने भारत की सदस्यता पर हमेशा वीटो का इस्तेमाल किया है। चीन का तर्क है कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं। हालांकि चीन के मित्र पाकिस्तान पर यह नियम लागू नहीं होते है, पाकिस्तान ने भी परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं।
पाकिस्तान ने साउथ एशियाई एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (सार्क) में चीन के निरंतर शरीक होने का समर्थन किया है। सूत्रों के मुताबिक चीनी दौरे से इमरान खान के हात कुछ नहीं लगा, चीन ने पाकिस्तान से व्यापार सम्बन्धी मसलों पर कोई वादा नहीं किया है।
चीन ने कहा था कि दोनों देशों के मध्य मुक्त व्यापार समझौते के लागू हो जाने के बाद व्यापार सम्बन्धी सभी मसले हल हो जायेंगे। उन्होंने कहा हम इस पर चर्चा कर रहे हैं। चीन इस कदम से पाकिस्तान पर दबाव डालकर एफटीए पर हस्ताक्षर कराना चाहता है।