पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अभी चार दिवसीय चीनी दौरे पर हैं। पाकिस्तानी पीएम के इस दौरे का मकसद चीन से आर्थिक मदद प्राप्त करना था, हालांकि वो अब संभव होता नज़र नहीं आ रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने शनिवार को अपने चीनी समकक्ष ली केकिंग से बातचीत की थी।
चीन के एक वरिष्ठ कूटनीतिज्ञ ने बताया कि बीजिंग पाकिस्तान को आर्थिक मदद करेगा लेकिन इसके लिए हमें और बातचीत करनी होगी। शुरूआती साल में पाकिस्तान के विदेशी रिज़र्व ने 42 फीसदी गोता लगाया था और अब बस 8 बिलियन डॉलर ही शेष है, जिसमे सिर्फ दो माह का आयात संभव है।
पिछले माह पाकिस्तानी प्रधानमंत्री सऊदी अरब की यात्रा पर गए थे। इस यात्रा के दौरान रियाद ने उन्हें 6 बिलियन डॉलर की आर्थिक राशि देने का ऐलान किया था। पाकिस्तानी अधिकारियों के मुताबिक के सऊदी की रकम नाकाफी है, इसलिए सरकार बैलआउट पैकेज के लिए अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ बातचीत प्रक्रिया को आगे बढाने पर विचार कर रही है। सूचना के मुताबिक साल 1980 के बाद पाकिस्तान का आईएमएफ से यह 13 वां बैलआउट पैकेज होगा।
चीनी उपवित्त मंत्री कोंग क्सुंयो ने कहा कि उनका देश मदद जरुर करेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को आर्थिक विपदा से उभारने के लिए चीन उन्हें हर संभव सहायता और समर्थन करेगा। उन्होंने कहा कि इमरान खान के इस दौरे से हमारे सिद्धांतों को अधिक स्पष्ट बना दिया हैं।
चीनी मंत्री ने बताया कि दोनों राष्ट्रों के सभी विभाग आपस में बातचीत कर रहे हैं। चीन-पाक आर्थिक गलियारे परियोजना के बाबत उन्होंने बताया कि परियोजना में कोई बदलाव नहीं होंगे, सब जस का तस ही रहेगा। \
इमरान खान ने राष्ट्रपति शी जिंगपिंग से बीते रोज कहा था कि पाकिस्तान इस वक्त आर्थिक संकट के दौर से गुज़र रहा है। पाकिस्तान और चीन दशकों से नजदीकी दोस्त रहे हैं। पाकिस्तान की नवनिर्वाचित सरकार ने चीन की 60 बिलियन डॉलर सीपीईसी परियोजना की समीक्षा की बात उठाई थी। सरकार के एक मंत्री ने बयान दिया था कि इस परियोजना से पाकिस्तान की कम्पनीयों को फायदा नहीं है, ये चीन हितैषी है।